युद्ध क्या है
कमजोर पर ताकतवर का आतंक
गरीबों पर अमीरों का जुल्म
युद्ध..परपीड़क मनुष्य की
आदिम अभिलाषा है
युद्ध ..अशांति की परिभाषा है
युद्ध.. सीधे-सादे मनुष्य पर
गुंडों का हमला है
युद्ध ..नैतिकता के माथे पर कलंक है
युद्ध ..श्वेत हंस पर
बिच्छू का डंक है
दुनिया में जब तक
युद्ध की कामना रहेगी
तब तक धरती
खून के आँसू रोएगी
वह चैन से बिल्कुल नहीं सोएगी
इसलिए युद्ध-पिपासुओ!
धरती को चैन से जीने दो
फेंक दो अपने सारे हथियार
बना दो उन्हें कबाड़
इस दुनिया में इस वक्त
सबसे भयावह चीज
अगर कोई है तो वो है
शैतानों के पास रखे हथियार
जो कर रहे हैं वार
लगातार, बार-बार
मनुष्यता की छाती पर ।
सहसा रोने लगे बुध्द
जब उसने कहा, मैं शांति के लिए
कर रहा हूँ युद्ध
और मार डाले सैकड़ों निर्दोष
युद्ध.. प्रभुत्व जमाने का
प्राचीनतम हथियार है
युद्ध..धरती के माथे पर
एक दाग है
नफरत की आग है
युद्ध का विकल्प केवल प्यार है।
हर सच्चे मनुष्य को यही स्वीकार है।
कमजोर पर ताकतवर का आतंक
गरीबों पर अमीरों का जुल्म
युद्ध..परपीड़क मनुष्य की
आदिम अभिलाषा है
युद्ध ..अशांति की परिभाषा है
युद्ध.. सीधे-सादे मनुष्य पर
गुंडों का हमला है
युद्ध ..नैतिकता के माथे पर कलंक है
युद्ध ..श्वेत हंस पर
बिच्छू का डंक है
दुनिया में जब तक
युद्ध की कामना रहेगी
तब तक धरती
खून के आँसू रोएगी
वह चैन से बिल्कुल नहीं सोएगी
इसलिए युद्ध-पिपासुओ!
धरती को चैन से जीने दो
फेंक दो अपने सारे हथियार
बना दो उन्हें कबाड़
इस दुनिया में इस वक्त
सबसे भयावह चीज
अगर कोई है तो वो है
शैतानों के पास रखे हथियार
जो कर रहे हैं वार
लगातार, बार-बार
मनुष्यता की छाती पर ।
सहसा रोने लगे बुध्द
जब उसने कहा, मैं शांति के लिए
कर रहा हूँ युद्ध
और मार डाले सैकड़ों निर्दोष
युद्ध.. प्रभुत्व जमाने का
प्राचीनतम हथियार है
युद्ध..धरती के माथे पर
एक दाग है
नफरत की आग है
युद्ध का विकल्प केवल प्यार है।
हर सच्चे मनुष्य को यही स्वीकार है।
गिरीश पंकज
चिंतनीय रचना।
ReplyDeleteआभारम
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