''सद्भावना दर्पण'

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कविता/ विश्व शांति के लिए

>> Thursday, March 3, 2022


वह दुनिया को बचाने के लिए
बहुत चिंतित था इसलिए 
सबसे पहले उसने एक बम  गिराया
विश्व शांति के नाम
फिर उसे सहसा याद आया
मानवता भी कोई चीज है 
तो उसने उसके नाम पर 
गिरा दिए दो बम
फिर दुनिया से भूख मिटाने के लिए भी
बेचैन हो उठा वह 
तो चार बड़े बम भी गिरा दिए
अचानक उसे याद आया कि
विश्व के देशों में 
आपसी सद्भावना भी ज़रूरी है
 इसलिए उसने दागीं भयंकर मिसाइलें 
अब वह बैठे-बैठे सोच रहा है कि 
इस बार किस परमार्थ के लिए
दागूँ मिसाइलें या गिराऊँ बम !
यह और बात है कि 
उसके परमार्थ से सहम गए हैं हम।

@ गिरीश पंकज

1 टिप्पणियाँ:

कविता रावत March 5, 2022 at 12:45 AM  

सच यही तो हो रहा है
प्रेरक रचना

सुनिए गिरीश पंकज को

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