मैया कृपा तेरी बरसे।
पाकर के आशीष तुम्हारा,
दुर्बल भी बलवान बने।
मूरख ज्ञानी बन जाए औ,
निर्धन भी धनवान बने।
दर्शन करके माँ दुर्गे का,
मन भक्तों का नित हरषे।
मैया कृपा तेरी बरसे।
दुष्टों का संहार करे तू,
भक्तजनों से प्यार करे ।
जो भी तेरी शरण में आया,
उसका बेड़ा पार करे।
बड़ी आस ले कर के मैया
हम निकले अपने घर से।
मैया कृपा तेरी बरसे।
अष्टभुजा वाली ओ माता,
तुझको शीश नवाते हैं।
जिस पर तेरी कृपा हो गई,
वे सब मुक्ति पाते हैं।
बिगड़े काज सभी बन जाते ,
नाम तेरा लेने भर से।।
मैया कृपा तेरी बरसे।
@ गिरीश पंकज
कुछ मित्रों के आग्रह पर लिखा गया भजन।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०७-०४ -२०२२ ) को
'नेह का बिरुआ'(चर्चा अंक-४३९३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर।
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