व्यंग्यकार की कविताई और व्यंग्यादि
क्रूर सियासत हर सपने कोफूलों जैसा मल देती है । सच को कहती अच्छे ग़ज़ल ।
आभार,संगीताजी!
क्रूर सियासत हर सपने को
ReplyDeleteफूलों जैसा मल देती है ।
सच को कहती अच्छे ग़ज़ल ।
आभार,संगीताजी!
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