दौर यह कैसा चलाया जा रहा
झूठ को सुंदर बताया जा रहा
सज्जनों को मंच अब मिलता नहीं
दुर्जनों को सिर चढ़ाया जा रहा
सत्य को स्वीकार करना चाहिए
पर उसी से मुँह फिराया जा रहा
जो नहीं हैं लोग बस चेहरा वही
आजकल सब को दिखाया जा रहा
अब अंधेरा कुछ नहीं कर पाएगा
क्योंके इक दीपक जलाया जा रहा
@ गिरीश पंकज
सत्य को कहती खूबसूरत ग़ज़ल 👌👌👌👌
ReplyDeleteसज्जनों को मंच अब मिलता नहीं
दुर्जनों को सिर चढ़ाया जा रहा