Thursday, June 9, 2022

ग़ज़ल

दौर यह कैसा चलाया जा रहा
झूठ को सुंदर बताया जा रहा

सज्जनों को मंच अब मिलता नहीं
दुर्जनों को सिर चढ़ाया जा रहा

सत्य को स्वीकार करना चाहिए
पर उसी से मुँह फिराया जा रहा

जो नहीं हैं लोग बस चेहरा वही
आजकल सब को दिखाया जा रहा

अब अंधेरा कुछ नहीं कर पाएगा
क्योंके इक दीपक जलाया जा रहा

@ गिरीश पंकज

1 comment:

  1. सत्य को कहती खूबसूरत ग़ज़ल 👌👌👌👌

    सज्जनों को मंच अब मिलता नहीं
    दुर्जनों को सिर चढ़ाया जा रहा

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