''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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ग़ज़ल

>> Thursday, June 9, 2022

दौर यह कैसा चलाया जा रहा
झूठ को सुंदर बताया जा रहा

सज्जनों को मंच अब मिलता नहीं
दुर्जनों को सिर चढ़ाया जा रहा

सत्य को स्वीकार करना चाहिए
पर उसी से मुँह फिराया जा रहा

जो नहीं हैं लोग बस चेहरा वही
आजकल सब को दिखाया जा रहा

अब अंधेरा कुछ नहीं कर पाएगा
क्योंके इक दीपक जलाया जा रहा

@ गिरीश पंकज

1 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) June 9, 2022 at 6:05 AM  

सत्य को कहती खूबसूरत ग़ज़ल 👌👌👌👌

सज्जनों को मंच अब मिलता नहीं
दुर्जनों को सिर चढ़ाया जा रहा

सुनिए गिरीश पंकज को

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