''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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ग़ज़ल

>> Thursday, May 26, 2022

राजनीति बस छल देती है
कहाँ कोई वो हल देती है

क्रूर सियासत हर सपने को
फूलों जैसा मल देती है

आँगन में तुलसी रहने दो
अम्मा इसको जल देती है

रहे हमेशा भीतर जिंदा
वही चेतना बल देती है

हमको अपनी खुशियां पंकज
हरियाली प्रतिपल देती है

2 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) May 27, 2022 at 5:27 AM  

क्रूर सियासत हर सपने को
फूलों जैसा मल देती है ।

सच को कहती अच्छे ग़ज़ल ।

girish pankaj May 27, 2022 at 8:23 AM  

आभार,संगीताजी!

सुनिए गिरीश पंकज को

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