श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है यह गीत, जिसमें मैंने श्री कृष्ण भगवान से गौ-रक्षा के लिए अवतरित होने की अपील की है :
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पता नहीं किस नंदनवन में,
भ्रमण कर रहे आज कन्हैया।
इसीलिए तो लोग दुखी हैं,
मरती जाती उनकी गैया।।
बढ़ते जाते असुर यहाँ पर,
देवों का हो गया पलायन।
'गीता' को सब भूल गए हैं,
स्वारथ का इकतरफा गायन।
कंस रूप धर कर के नाना,
करता मानो ता-ता-थैया।।
कान्हा की मुरली की धुन में,
गऊ माता जब इठलाती थी।
चारा चरती थी जंगल में,
और सुखी तब हो जाती थी।
आज कहाँ चारा-सानी अब,
कचरा किस्मत में है भैया।
आ जाओ अब तो ओ कान्हा,
असुरों का संहार करो तुम।
नकली गौ - भक्तों को देखो,
गायों का उद्धार करो तुम।
गाय बचे तो देश बचेगा,
कहती है यह तुझसे मैया।
@ गिरीश पंकज
सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत । आज की विद्रूपता को समेट लिया इस गीत में ।
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ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२२-०८ -२०२२ ) को 'साँझ ढलती कह रही है'(चर्चा अंक-१५२९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसुंदर रचना
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