Monday, July 17, 2023

ग़ज़ल/ झूठे लोगों ने चुनाव में


इश्तहार तो आकर्षक हैं पर कितनी सच्चाई है 

झूठे लोगों ने चुनाव में महफ़िल बड़ी सजाई है


वादे, जुमले, मुस्कानें और कुछ नकली आँसू

ऐसा करके लोगों ने फिर  से सरकार बनाई है 


आपस में मिलकर रहने वाले अब लड़ते हैं

पता नहीं बस्ती में किसने आ कर आग लगाई है


यह मेरा, वो तेरा वोटर जात- धर्म में बंटे सभी

राजनीति की कुटिल मंथरा बहुत बड़ी हरजाई है


पहले की हर एक योजना कहाँ गई कुछ पता नहीं

कुरसी पाने फिर से सत्ता नई योजना लाई है


@ गिरीश पंकज


3 comments:

  1. चुभती हुई गज़ल..बेहतरीन अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
    ---
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ जुलाई २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. यथार्थ को प्रदर्शित करती रचना। बहुत बधाई आदरणीय

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  3. समसामयिक ग़ज़ल । ऐसी घटनाओं पर दिलों में आग भी कुछ समय के लिए ही जलती है ।

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