>> Monday, September 7, 2009
हिन्दी हमारी प्यारी भाषा है। यह जन-जन की भाषा है। राजभाषा है लेकिन हमारे नेताओ की हीनता और पाखंड ने हिन्दी को कागजी भाषा बना कर रख दिया, हिन्दी को उसका हक नही मिला है। अभी मै कही देख रहा था, जहा लिखा गया कि हिन्दी को खून चाहिए. खून बहता भी दिख रहा था। वह पोस्टर डरानेवाला था। वह हमे हिंसा के लिये प्रेरित करता है। उस तरफ़ इशारा भी करता है। मै कहना चाहता हूँ, हिन्दी प्यार बांटने वाली भाषा है। हिन्दी के लिये हम खून, नही प्यार बांटे। वक्त पड़े तो अपना ही बलिदान करे। किसी की जान लेने की ज़रूरत नही। बेशक हम अपनी जान देने के लिये तैयार रहें। बैठ जाए आमरण अनशन पर. जैसे बैठी है मणिपुर की शर्मिला । दूसरो का खून क्यो बहे, अपनी ही जान क्यो न दे दें? इसी भावःभूमि पर एक कविता पेश है-
- हिंदी अब बलिदान मांगती..
हिंदी अब बलिदान मांगती ...
अपनी खोई शान मांगती
बहुत हो गया ,हिंदी - माता
इक सच्ची पहचान मांगती .
हिंदी अब बलिदान मांगती .
अंगरेजी की जय -जय कब तक ?
हिन्दी गौरव- गान मांगती .
जहां खिले सारी भाषाए ,
हिंदी वो उद्यान मांगती .
हिंदी अब बलिदान मांगती .
मै हूँ जन-गन-मन की भाषा
अपना यह सम्मान मांगती .
हिंदी अब बलिदान मांगती .
खून नहीं, हम प्यार बाँटते
हिंदी वही जहान मांगती .
ज्ञान और विज्ञान मांगती
हिन्दी , हिंदुस्तान मांगती
हिंदी अब बलिदान मांगती .
अपनी खोई शान मांगती
खून नहीं, हम प्यार बाँटते
हिंदी वही जहान मांगती .
ज्ञान और विज्ञान मांगती
हिन्दी , हिंदुस्तान मांगती
हिंदी अब बलिदान मांगती .
अपनी खोई शान मांगती
-गिरीश पंकज
1 टिप्पणियाँ:
हिन्दी ज्ञान और विज्ञान मांगती. बहुत सुन्दर कविता भईया आभार.
बड़े भाई निवेदन है
1. किसी वेबसाईट या वर्ड में से टाईप्ड रचनाओं को ब्लागर पोस्ट में डालनें के पूर्व ब्लागर पोस्ट में कम्पोज के स्थान पर एचटीएमएल विकल्प चुने, वहां कापी किये गये टेक्स्ट को पेस्ट कर दें.
2. फिर कम्पोज विकल्प को क्लिक कर उसे सजा लें (आकार दें)
3. आपके द्वारा पोस्टों में शीर्षक विकल्प का उपयोग नहीं किया जा रहा है कृपया आप पोस्ट में दिये टाईटल या शीर्षक में कविता का शीर्षक पेस्ट किया करें.
4. यह शीर्षक तकनीकि रूप से एक यूनीक एड्रेस आईडी बनाता है जो सर्च एवं अन्य तकनीकि रूप से आवश्यक होता है. दूसरी बात यह कि पोस्ट हो जाने के बाद किसी ब्लाग के शीर्षक को क्लिक करने से ही वह पोस्ट और उसमें किए गए सभी कमेंट मय लिंक नजर आते हैं, अलग से कमेंट को क्लिक करना नहीं पड़ता.
शेष फिर कभी .....
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