''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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>> Sunday, September 20, 2009

आज ईद हैमुबारक हो सबकोहर धर्म हमें प्यारा होहम ईद भी मनाये, दीवाली भीबड़ा दिन भीसब त्यौहार हमारे हैमैंने कभी रमजान पर लिखा था , दो शेर ही याद रहे है. देखे- रोजा इक फ़र्ज़ मुसलमान के लिए/ तकलीफ जो सहते है रमजान के लिए/ बाद मरने के ही ज़न्नत मिलेगी/ थोडी तो हिद्दत सहो दय्यान के लिए..। दय्यान यानि स्वर्ग का वह आठवा दरवाज़ा जो रोजेदारों के लिए खुलता हैबहरहाल, ईद पर बिल्कुल ताज़ा रचना पेश है, इस विश्वास के साथ की हम सकल्प ले की जाती-धर्म की दीवारे तोडेंगेमिलजुल कर रहेंगेऐसा समाज बनाना है, जहा लोग कहे-सुबह मोहब्बत, शाम मोहब्बत /अपना तो है काम मोहब्बत / हम तो करते है दोनों से / अल्ला हो या राम मोहब्बत / देखिये मेरे शेरईद मुबारक....मीठा खाए, मीठा बोलें...जीवन में हम मिसरी घोलें

आज ईद है.....

आओ, सबको गले लगाओ आज ईद है
सेवई खाओ और खिलाओ आज ईद है
बैर कोई दिल में पालो मेरे भाई
दुश्मन को भी पास बुलाओ आज ईद है
कोई इक त्यौहार किसी का नही रहे अब
सारे बढ़ कर इसे मनाओ आज ईद है
रोजे रख कर हुई इबादत देखो भाई
सुबह-शाम केवल मुस्काओ
आज ईद है
ईद, दीवाली, होली सब त्यौहार हमारे
पागल दुनिया को समझाओ
आज ईद

गिरीश पंकज

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