सर्जना-पथ के पथिक को, कब कहाँ विश्राम है...
>> Sunday, October 25, 2009
गीत..
सर्जना -पथ के पथिक को, कब कहाँ विश्राम है,कर्म जिनका लक्ष्य उनका, हर घडी अभिराम है..
कंटकों से पथ भरा हो, किन्तु चलना है निरंतर.
साधना का पथ अगन है, इसमें जलना है निरंतर.
तप सका वो पुरुष उत्तम, बन सका तब राम है...
सर्जना -पथ के पथिक को, कब कहाँ विश्राम है..
आज आकर्षण हजारों, कर रहे पथभ्रष्ट जन को.
ये बढ़ेंगे तेज गति से, रोक लें हम अपने मन को.
जीत ले गर मन तभी मिलता परम सुख धाम है..
सर्जना -पथ के पथिक को, कब कहाँ विश्राम है..
सत्य का संधान करना, लक्ष्य मानव का रहे.
हम चलेंगे राह सच्ची, ये जगत कुछ भी कहे.
हो चुके बेकाम जो, उनका ही निंदा काम है..
सर्जना -पथ के पथिक को, कब कहाँ विश्राम है,
सुख की खातिर दुःख बटोरें, यह कहाँ की रीत है?
जो मिला है वह बहुत है, सोच लें तो जीत है.
त्याग की प्रतिमूर्ति है जो, बस उसी का नाम है..
सर्जना-पथ के पथिक को, कब कहाँ विश्राम है,
कर्म जिनका लक्ष्य उनका, हर घडी अभिराम है..
गिरीश पंकज
2 टिप्पणियाँ:
बहुत बेहतरीन रचना, गिरीश भाई.
सर्जना -पथ के पथिक को, कब कहाँ विश्राम है..
प्रेरक और बहुत खूबसूरत रचना
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