गीत... वो है अहसास इक सुन्दर...
>> Tuesday, October 20, 2009
.पूरे सात दिन बाद....फिर एक रचना शुभचिंतको के लिए...बिलकुल अलग मूड का गीत..
वो है अहसास इक सुन्दर...
कभी श्रृंगार करती है,कभी मनुहार करती है.
मेरे सपनो की वो रानी,
मुझे बस प्यार करती है.
कभी वह पास आती है,
कभी वह दूर जाती है.
कभी ख्वाबों में आकर के,
सितारों को सजाती है.
अधर जब खोलती है वह,
लगे झंकार करती है..
कभी वह रूठ जाती है,
कभी वह मुस्कराती है.
वो आती है तो कोयल भी,
हमेशा गुनगुनाती है.
मेरे आँगन को आकर के,
सदा गुलज़ार करती है...
वो है अहसास इक सुन्दर,
हकीकत हो नहीं पाया.
वो आएगी कभी मुझ तक,
तभी तो सो नहीं पाया.
बहुत बेताब होने पर,
ख़ुशी इंकार करती है..
कभी श्रृंगार करती है,
कभी मनुहार करती है.
मेरे सपनो की वो रानी,
मुझे बस प्यार करती है.
गिरीश पंकज
4 टिप्पणियाँ:
यह प्रेम गीत तो बहुत सुन्दर है गिरीश भाई बहुत सौम्य ..।
बहुत बेताब होने पर,
ख़ुशी इंकार करती है..
-सुन्दर सरल शब्दों में प्यार की दास्ताँ..क्या कहने!
धन्य हो गिरीश भैया
सुबह सुबह
अरमानो को जगा दिया
कल दिये जलाए थे
आज दिल जला दिया
बहुत सुन्दर प्यार भरी रचना,बधाई
सपनों की रानी ...
अच्छी प्रेम कविता ..!!
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