''सद्भावना दर्पण'

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ग़ज़ल...जो भी सच्चा ज्ञानी होगा..

>> Thursday, October 22, 2009

दार्शनिक  भाव -बोध की ग़ज़ल...
जो भी सच्चा ज्ञानी होगा
उतना निर्मल पानी होगा

बैर रखेगा मन में तो वह
पढ़ा-लिखा अज्ञानी होगा

खुद को जो निशब्द बना ले
वह सच्चा निर्वाणी होगा

अपना वैभव बांटेगा जो
सही अर्थ में दानी होगा

जो भी मेरे दोष दिखा दे
वही बड़ा कल्याणी होगा

प्रतिभा का अपमान करे तो
बस केवल अभिमानी होगा

सत्य कहे, सन्मार्ग दिखाए
वह अनमोल कहानी होगा

उतना ही रहता है कोई
जितना दाना-पानी होगा

त्याग सीख ले पंकज थोडा
फिर तेरा न सानी होगा.
गिरीश पंकज

4 टिप्पणियाँ:

परमजीत सिहँ बाली October 22, 2009 at 11:41 AM  

बहुत बढिया रचना है। एकदम सही बात कहीं है।धन्यवाद।

M VERMA October 22, 2009 at 6:00 PM  

ज्ञान देती बहुत अच्छी गजल.
बहुत सुन्दर

ब्लॉ.ललित शर्मा October 22, 2009 at 8:45 PM  

जो भी मेरे दोष दिखा दे
वही बड़ा कल्याणी होगा
त्याग सीख ले पंकज थोडा
फिर तेरा न सानी होगा.
गिरीश भैया,मै इस पर टिप्पणी करके इस गजल का आनंद कम नही करना चाहता, शुभकामनाएं

mehek October 22, 2009 at 10:03 PM  

बैर रखेगा मन में तो वह
पढ़ा-लिखा अज्ञानी होगा

खुद को जो निशब्द बना ले
वह सच्चा निर्वाणी होगा
waah lajawab

सुनिए गिरीश पंकज को

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