नैन कजरारे हैं उनमे पर हया मिलती नहीं....
>> Tuesday, October 27, 2009
ग़ज़ल....
शोर छाया हर कहीं लेकिन सदा मिलती नहीं
प्यार की भरमार है फिर भी वफ़ा मिलती नहीं
खूबसूरत जिस्म है पर स्याह दिल मिलते यहाँ
नैन कजरारे हैं उनमे पर हया मिलती नहीं
पढ़ गए सुन्दर कथाएँ जो लिखी थीं वक्त ने
अब कहाँ से लायें हम कोई कथा मिलती नहीं
है बड़ी दौलत मगर वो शख्स है मुफलिस बड़ा
उस बिचारे को किसी की भी दुआ मिलती नहीं
जी रहे हैं लोग बस्ती में मगर पंकज यहाँ
ज़िन्दगी जीने की इक सच्ची अदा मिलती नहीं
गिरीश पंकज
3 टिप्पणियाँ:
जी रहे हैं लोग बस्ती में मगर पंकज यहाँ
ज़िन्दगी जीने की इक सच्ची अदा मिलती नहीं
बहुत सुंदर गज़ल-आभार
गज़ब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बहुत खूब .....हया मिलती नहीं..................
wah girish ji, hamesha ki tarah behatareen rachna. badhaai.
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