बच्चे...
>> Saturday, November 14, 2009
आज बाल दिवस है. पूरे देश में बच्चो पर केन्द्रित कार्यक्रम हो रहे है. होने भी चाहिए. वे हमारे आने वाले कल है.
प्रस्तुत है बच्चो पर लिखी गयी एक ग़ज़ल-
मेरा-तेरा बल हैं बच्चे
थके हुए जीवन मे जैसे
हंसी-खुशी के पल हैं बच्चे
अगर समस्या वर्तमान है
तो फिर उसका हल हैं बच्चे
आओ इनको छुओ प्यार से
मंगल ही मंगल हैं बच्चे
हम तो हैं ठहरे-जल यारो
मगर सदा हलचल हैं बच्चे
इन्हें खेलने दो धरती पर
तितली हैं, चंचल हैं बच्चे
कभी नहीं हम होंगे निर्बल
हम सबके संबल हैं बच्चे
मत झोंको श्रम की भट्टी में,
कोमल-दूर्वा-दल हैं बच्चे
जरा गौर से देखो लीला
लगें ईश प्रतिपल हैं बच्चे
जहां हमें आधार मिले इक
वही ठोस स्थल हैं बच्चे
ये ईश्वर के दिव्यदूत है
या फिर गंगाजल हैं बच्चे
सही दिशा बस मिल जाये तो
पंकज नीलकमल हैं बच्चे
प्रस्तुत है बच्चो पर लिखी गयी एक ग़ज़ल-
बच्चे
आने वाला कल हैं बच्चेमेरा-तेरा बल हैं बच्चे
थके हुए जीवन मे जैसे
हंसी-खुशी के पल हैं बच्चे
अगर समस्या वर्तमान है
तो फिर उसका हल हैं बच्चे
आओ इनको छुओ प्यार से
मंगल ही मंगल हैं बच्चे
हम तो हैं ठहरे-जल यारो
मगर सदा हलचल हैं बच्चे
इन्हें खेलने दो धरती पर
तितली हैं, चंचल हैं बच्चे
कभी नहीं हम होंगे निर्बल
हम सबके संबल हैं बच्चे
मत झोंको श्रम की भट्टी में,
कोमल-दूर्वा-दल हैं बच्चे
जरा गौर से देखो लीला
लगें ईश प्रतिपल हैं बच्चे
जहां हमें आधार मिले इक
वही ठोस स्थल हैं बच्चे
ये ईश्वर के दिव्यदूत है
या फिर गंगाजल हैं बच्चे
सही दिशा बस मिल जाये तो
पंकज नीलकमल हैं बच्चे
2 टिप्पणियाँ:
अगर समस्या वर्तमान है
तो फिर उसका हल हैं बच्चे
WAH WAH
DIL KO CHHU GAYI AAPKI YEH EK AUR KAVITA.
DHERO DUAYE "DIL SE ...."
MUBARAK MUBARAK
dhanyvad....ek prtikriya bhi mujhe utsahit karne k liye paryapt hai.
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