गीत-ग़ज़ल /भले कर्म करने वाला ही, वक़्त है ये बेवफा...,..
>> Tuesday, December 8, 2009
आज एक गीत और एक ग़ज़ल....
(१)
वो ही प्रभु का नूर हो गया.
भले कर्म करने वाला ही,दुनिया में मशहूर हो गया.
वही सुखी है जीवन में जो,
बुरे कर्म से दूर हो गया.
---
जितना मुझको मिल पाया है,
प्रभु की प्रेम-प्रसादी है.
वैसे तो यह पूरा जीवन,
भिखमंगा-फरियादी है.
जिसने हाथ नहीं फैलाए,
वो ही प्रभु का नूर हो गया.
भले कर्म करने वाला ही,
दुनिया में मशहूर हो गया.
------
दुःख में भी रहने का सुख है,
सुख के अन्दर में भी दुःख है.
सच पूछो तो बड़ा कठिन है,
किसको दुःख है, किसको सुख है.
जो यह सत्य समझ पाया वह,
हर सुख से भरपूर हो गया.
भले कर्म करने वाला ही,
दुनिया में मशहूर हो गया.
------
अपने सुख को बाँट दिया तो,
कई गुना बढ़ कर आया है.
अजब फलसफा है जीवन का,
इसको कौन समझ पाया है.
सच्चे दानी के घर सुख को,
बस रहना मंज़ूर हो गया..
अब एक ग़ज़ल...
(१)
वक़्त है ये बेवफा इक दिन दगा हो जाएगा क्या पता कब ज़िन्दगी में हादिसा हो जाएगा
ज़िंदगी यह धूप-छांवों की कथा है दोस्तो
जो बना है एक दिन वह भी फ़ना हो जाएगा
ठान लेने पर शिखर भी एक दिन मिलता यहाँ
जिस घड़ी इनसान में कुछ हौसला हो जाएगा
लड़ रहा परिवार दौलत के लिए पंकज यहाँ
इनकी हरकत का शहर को अब पता हो जाएगा
2 टिप्पणियाँ:
दोनों रचना अच्छी लगीं, खासकर ये लाइनें--
ठान लेने पर शिखर भी एक दिन मिलता यहाँ
जिस घड़ी इनसान में कुछ हौसला हो जाएगा
girish ji donon rachnayen lajawaab, jitni tareef ho kam hai. aapko dheron badhaai.
Post a Comment