''सद्भावना दर्पण'

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दो ग़ज़ले/ अगर जज़्बात न समझे..., न गोरे रहेंगे...

>> Wednesday, December 9, 2009

 दो ग़ज़ले
(१)
तू कर लाखों जतन इस पार से उस पार ना होगा..

अगर  जज्बात न समझे तो सच्चा यार न होगा
रहेगा उम्र भर वो साथ लेकिन प्यार ना होगा  

जो दुःख में दूसरों के अपने आंसू ना  बहा पाए
उसी के सुख से जुड़ने का कतई हकदार ना होगा


हुनर है पास जिसके फिर वो भूखा रह नहीं सकता 
जहां भी जाएगा वो शख्स तो बेकार ना होगा 

वो रहते हैं अकेले इस कदर खुदगर्ज़ हो कर के
कि उनके साथ उनका कोई रिश्तेदार ना होगा  

अगर दिल में है तेरे पाप तो फिर जान ले पंकज
तू कर लाखों जतन इस पार से उस पार ना होगा 

(२)

यहाँ कब तलक मुंह पे ताले रहेंगे... 


न गोरे रहेंगे, न काले रहेंगे 
रहेंगे तो ईमान वाले रहेंगे 

जिनकी रातें हमेशा ही काली रहीं
उनके हिस्से में भी कुछ उजाले रहेंगे

मुझे अपने दर्दों से शिकवा नही
यही मुझको हरदम संभाले रहेंगे

चलूँगा, बढूंगा, थमूंगा नहीं मैं
ये माना के पैरों में छाले रहेंगे

नहीं बच सकेंगे कभी हम ज़हर से 
अगर सांप आस्तीं में पाले रहेंगे

ये नेता है जीने के गुर जानते है
कुछ नए मुद्दे अकसर उछाले रहेंगे

हद हो गई कुछ तो करना पड़ेगा
यहाँ कब तलक मुंह पे ताले रहेंगे




5 टिप्पणियाँ:

वाणी गीत December 9, 2009 at 11:16 PM  

नहीं बच सकेंगे कभी हम ज़हर से
अगर सांप आस्तीं में पाले रहेंगे
बात तो पते कि है ..मगर इन आस्तीन के साँपों को पहचाने कैसे ...अपने बन कर ही पलते हैं ....!!

अगर जज्बात न समझे तो सच्चा यार न होगा
रहेगा उम्र भर वो साथ लेकिन प्यार ना होगा ....

दिल में गहरे उतर गयी ये पंक्तियाँ ....!!

Kusum Thakur December 10, 2009 at 2:11 AM  

"हुनर है पास जिसके फिर वो भूखा रह नहीं सकता
जहां भी जाएगा वो शख्स तो बेकार ना होगा "

बहुत खूब कही है आपने . शुभकामनायें!!

Yogesh Verma Swapn December 10, 2009 at 2:56 AM  

donon behatareen.

नीरज गोस्वामी December 11, 2009 at 4:02 AM  

जो दुःख में दूसरों के अपने आंसू ना बहा पाए
उसी के सुख से जुड़ने का कतई हकदार ना होगा
**
मुझे अपने दर्दों से शिकवा नही
यही मुझको हरदम संभाले रहेंगे

वाह गिरीश जी वाह...बेहतरीन शेरों से सजी आप की दोनों ग़ज़लें लाजवाब हैं...दाद कबूल करें
नीरज

girish pankaj December 11, 2009 at 4:25 AM  

veenaji, kusumji, yogesh ji aur neeraj jee.. abhar aapka ki meree rachnaye aap logon ko pasand aayee. sneh bana rahe.

सुनिए गिरीश पंकज को

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