हो ये नूतन वर्ष मंगल
>> Wednesday, December 30, 2009
हो ये नूतन वर्ष मंगल.
हो ये नूतन वर्ष मंगल....
सूर्य की रक्ताभ किरणें,
दे रहीं सन्देश पावन.
आ रहा नूतन सवेरा,
दृश्य होगा मनलुभावन.
दे रहीं सन्देश पावन.
आ रहा नूतन सवेरा,
दृश्य होगा मनलुभावन.
दुःख-तिमिर का नाश होगा,
पाएँगे स्पर्श मंगल.
हो ये नूतन वर्ष मंगल....
पाएँगे स्पर्श मंगल.
हो ये नूतन वर्ष मंगल....
विगत की श्यामल छवि को,
भूलकर नव-पथ लखें हम.
नव-पथिक पाथेय नूतन,
संग में अब तो रखें हम.
सामने आतुर खडा है,
यह उपस्थित हर्ष मंगल.
हो ये नूतन वर्ष मंगल
भूलकर नव-पथ लखें हम.
नव-पथिक पाथेय नूतन,
संग में अब तो रखें हम.
सामने आतुर खडा है,
यह उपस्थित हर्ष मंगल.
हो ये नूतन वर्ष मंगल
टूटता है स्वप्न लेकिन,
फिर नया गढ़ते चलेंगे.
है ये जीवन एक पर्वत,
हम शिखर चढ़ते चलेंगे.
जो चले अविराम उसका,
हर घड़ी उत्कर्ष मंगल.
हो ये नूतन वर्ष मंगल....
है निशा चहुओर लेकिन,
अब नया सूरज उगेगा.
सो रहा हो भाग्य लेकिन,
अब वही देखो जगेगा.
जो हुआ अच्छा हुआ,
अब तो लगे संघर्ष मंगल...
हो ये नूतन वर्ष मंगल....
द्वेष थे कुछ, ईर्ष्या भी,
छोड़ कर उनको बढ़ेंगे.
छोड़ कर उनको बढ़ेंगे.
नेह के घट खोल कर के,
हम नया मानुष गढ़ेंगे.
हम सरल हैं हम सहज हैं,
मानवीय स्पर्श मंगल..
हो ये नूतन वर्ष मंगल.
हर कदम पर है चुनौती,
है यही संबल हमारा.
यह परीक्षा की घड़ी है,
क्योंकि अब है कल हमारा.
जूझना गर आ गया तो,
सोचिए निष्कर्ष मंगल.
है यही संबल हमारा.
यह परीक्षा की घड़ी है,
क्योंकि अब है कल हमारा.
जूझना गर आ गया तो,
सोचिए निष्कर्ष मंगल.
हो ये नूतन वर्ष मंगल.
हो ये नूतन वर्ष मंगल...
4 टिप्पणियाँ:
पंकज जी,बहुत सुन्दर व बढ़िया रचना है। बहुत बहुत बधाई।
आपको व आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर रचना.
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
नए वर्ष का हर नवीन दिन
अमल-धवल यश कीर्ति 'सलिल' दे..
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