''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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देखते ही देखते नया वर्ष भी आ गया....

>> Thursday, December 31, 2009

लो.....देखते ही देखते नया वर्ष भी आ गया. 
पुराना जैसा भी था, 
अपना ही था, मगर नया तो कुछ ज्यादा ही भा गया.
क्योकि दस में  दम है , और 'काफिये' का रस है 
इसमे 'यश' है...
'हस' है ..
'यस' (हाँ ) भी है ...
'बस' भी है लेकिन उपलब्धियों के मामले में 'बस'  न रहे.
कोई भी भला आदमी बेबस न रहे

अब यह साल नया है तो हमारे सपने भी नए होंगे 
पुरानों के संग में  कुछ अपने भी नए होंगे 
नए साथी मिले अच्छा लगा.
हम फूल-सा खिले अच्छा लगा. 
नए  साल में हर कोई खुशहाल रहे, 
दुनिया में कहीं अशांति न हो. हर शख्स मालामाल रहे..
'अंतरजाल' ने तो सबको जोड़ दिया है. 
देशों की  बाधाओं (वीसा) को तोड़ दिया है. 
गाँव में बैठा इनसान भी शहर से जुड़ गया है. 
हर रास्ता विकास की ओर मुड़ गया है. 
एक-दूसरे से रू-ब-रू मिले नहीं, मगर बात हो रही है.
ऐसा लग रहा है कि मुलाकात हो रही है
सिलसिला जारी रहे, सद्भावों की ''उड़नतश्तरी''  
इधर से उधर मंडराती रहे..
प्रेमका सन्देश फैलती रहे...
जो जहाँ है, अच्छा काम करे
अपना, (अपनी जाति या धर्म का नहीं) अपने देश का नाम करे.
कोई संकुचित न रहे,विशाल बने..
लोग कहें देखो इसको..ऐसी कोई अच्छी मिसाल बने. 
दूसरों के दर्द की हम एक दवा हो जाएँ
काम ऐसे ही करें और फना हो जाएँ.
अपने लिए तो मै बस इतना ही कहूँगा,
कि अपनी कृतियों के माध्यम से आपके सब के दिलो में रहूँगा.
आपकी शुभकामनाएँ साथ हैं
क्या हुआ गर कुछ बलाएँ साथ हैं...
सारे ब्लोगर भाइयों को, ब्लॉग देखने या पढ़ने वालों को
पढ़ कर अपनी टिप्पणियाँ देने वालों को...
सबके लिए यह वर्ष मंगल हो
हर्ष से भरा उत्कर्ष मंगल हो...

5 टिप्पणियाँ:

36solutions December 31, 2009 at 11:55 PM  

बडे भाई आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
सुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.

(अजीत जोगी की कविता के अंश)

संगीता पुरी January 1, 2010 at 12:51 AM  

बढिया लिखा .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो !!

Udan Tashtari January 1, 2010 at 11:04 AM  

सबका भला हो!!



आप एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

Yogesh Verma Swapn January 2, 2010 at 7:43 PM  

badhaai.

Divya Narmada January 6, 2010 at 9:31 AM  

नए वर्ष का हर नवीन दिन
अमल-धवल यश कीर्ति 'सलिल' दे..

सुनिए गिरीश पंकज को

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