''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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एक ग़ज़ल.... उड़ने को तैयार रहो....

>> Friday, January 1, 2010

नए साल पर खुद को हौसला देने के लिए लिखी गयी ग़ज़ल 
शायद कुछ बौद्धिक साथियों को भी पसंद आ जाये. देखें...
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उडऩे को तैयार रहो, आकाश बुलाता है,
पतझर से मत घबराना, मधुमास बुलाता है


मुड़ कर पीछे मत देखो, मंजि़ल तो आगे है
जो रहता है पीछे बस, पीछे रह जाता है


मत रुकना तुम, रात अरे अब बीत गयी देखो
एक नया सूरज बढ़ कर, आवाज़ लगाता है


वर्तमान में रह कर जिसकी, नज़रें हैं कल पर ,
वही शख्स सचमुच स्वर्णिम इतिहास बनाता है


आओ मेहनतकश हाथों से, गढ़ें नई तकदीर

हर इंसा का कर्म, उसी का भाग्यविधाता है

सोचो उसकी हिम्मत को हम केवल करें सलाम
पैर नहीं है जिसके फिर भी दौड़ लगाता है

सर्जक अपना काम सदा करते रहते चुपचाप
बातूनी, झूठा ही बस ज्यादा चिल्लाता है


कौन यहाँ पर होगा जिसको हार नहीं मिलती 
ठोकर खाने पर केवल कायर घबराता है

वही एक इन्सान है सच्चा जिसका यह दस्तूर 
दुःख हो, सुख हो सबसे इक जैसा ही नाता है 

वह तो एक फरिश्ता है इनसान नहीं यारो
भीतर दु:ख का पर्वत है, बाहर मुसकाता है 


ग़म आने पर तू इतना मायूस न हो पंकज 
सब्र तो कर खुशियाँ  भी लेकर कोई आता है

5 टिप्पणियाँ:

संगीता पुरी January 1, 2010 at 11:35 AM  

सचमुच आशा ही तो जीवन है .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

परमजीत सिहँ बाली January 1, 2010 at 11:42 AM  

बहुत सुन्दर गजल है।बधाई।

Udan Tashtari January 1, 2010 at 5:45 PM  

बहुत सही हौसला अफजाई!!


वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

Yogesh Verma Swapn January 2, 2010 at 7:56 PM  

jan jan ko protsahit karti panktian. behatareen. badhaai.

Divya Narmada January 6, 2010 at 9:27 AM  

'सलिल' सतत बहता है, पल भर धार न होती बंद.
तज गिरीश को पंकज अपने अंक खिलाता है..

सुनिए गिरीश पंकज को

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