ग़ज़ल/ दर्द के पैबंद हैं...उसके चेहरे पर. दीखे मुस्कान..
>> Tuesday, January 12, 2010
अभी हाल ही में किताबघर , दिल्ली से एक पुस्तक आयी है- ''तीसरा ग़ज़ल शतक'. जाने-माने साहित्यकार डा. शेरजंग गर्ग के संपादन में २५ शायरों की पांच-पांच ग़ज़ले छापी गयी है. गर्ग जी बहुत बड़े शायर है. पुस्तक में अदम गोंडवी जैसे महान शायर की ग़ज़लें भी है. इस संग्रह में प्रकाशित दो ग़ज़ले यहाँ प्रस्तुत करने का मोह संवरण नहीं कर पा रहा हूँ. बाकी ग़ज़ले फिर कभी.देखें....
(१)
दर्द के पैबंद हैं मुस्कान के पीछे
हैं कई मजबूरियाँ इनसान के पीछे
यह दिखावे का नगर है क्या पता तुमको
क़र्ज़ की बुनियाद भी है शान के पीछे
बात सच मैंने कही इस बात को लेकर
पड़ गए हैं लोग मेरी जान के पीछे
कह दिया उसने भरोसा कर लिया तुमने
आँख भी खोले रखो तुम कान के पीछे
मुझको उन हाथों से लेने में लगे है डर
जाने कितनों का लहू है दान के पीछे
भूल जाओ गर किसी ने कुछ कहा पंकज
है लगीं नाकामियाँ अपमान के पीछे
(२)
उसके चेहरे पर दीखे मुस्कान बहुत
दिल है शायद उसका लहूलुहान बहुत
नफ़रत करने वालों से भी करता हूँ मै प्यार
कह ले दुनिया कहती है नादान बहुत
खोटे सिक्के, नकली फूलो के जलवे
असली की अब कहाँ रही पहचान बहुत
कहते है जो लूटे दुनिया को जितना
उतना ही करता है अकसर दान बहुत
दिल में कोई एक उतरता है पंकज
वैसे तो मिलते रहते इनसान बहुत
11 टिप्पणियाँ:
जाने क्यों लोग मेरे देश को पिछड़ा कहते हैं
अपनी नजरों में मेरा देश है महान बहुत
मुझको उन हाथों से लेने में लगे है डर
जाने कितनों का लहू है दान के पीछे!!
दान की आपने ऐसी की तैसी करके रख दी साब !!! बहुत बारीकी से निरिक्षण किया है !!!
Dono hi gazal lajawaab hain....yatharth ko atyant sundar aur prabhavidhang se bayan karte sabhi sher ek se badhkar ek hain....
Sachmuch Sangrahneey rachna hai...
बहुत शानदार है दोनों गज़ले...मौका लगे तो और भी छापियेगा.
यह दिखावे का नगर है क्या पता तुमको
क़र्ज़ की बुनियाद भी है शान के पीछे
-कितना सच कह गया शायर!!
शानदार गजलें पढवाने का शुक्रिया ।
दर्द के पैबंद हैं मुस्कान के पीछे
हैं कई मजबूरियाँ इनसान के पीछे
यह दिखावे का नगर है क्या पता तुमको
क़र्ज़ की बुनियाद भी है शान के पीछे
बहुत ही बढिया कहा गया है ।
सकरायेत तिहार के गाडा गाडा बधई.
यह दिखावे का नगर है क्या पता तुमको
क़र्ज़ की बुनियाद भी है शान के पीछे
क्या बात है!! बहुत सुन्दर गज़ल. बधाई.
बात सच मैंने कही इस बात को लेकर
पड़ गए हैं लोग मेरी जान के पीछे
वाह क्या लिखा है पंकज जी .......... सच कहा आज सत्य कहना बहुत बड़ा जोखिम है ......
कहते है जो लूटे दुनिया को जितना
उतना ही करता है अकसर दान बहुत
हक़ीकत उतार दी है आपने .... सामाजिक परिस्थिति का सही आंकलन है आपकी ग़ज़लें .........
donon gazalen man ko bhayeen.
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
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