''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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महावीर वचनामृत-७

>> Sunday, February 7, 2010

(56)
धर्म, दया से शून्य जो, झगड़ालू औ दुष्ट।
मंदबुद्धि वह जानिए, कभी न हो संतुष्ट।।

(57)
जो मन से है शुद्ध वह, जीते यह संसार।
पवन सहारे नाव ज्यों, लग जाती है पार।।

(58)
कर्म अकेला भोगता, अंत काल इनसान।
कौन यहाँ अपना अरे, जो समझे नादान।।

(59)
माँस-अस्थि, मल-मूत्र से, तुच्छ बनी यह देह।
इसमें सुख ना खोजिए, ये क्षणभंगुर गेह।।
(गेह-घर)

(60)
गई आत्मा तो करे, अज्ञानी ही शोक।
और स्वयं की आत्मा, को पाए ना रोक।।

(61)
जन्म हुआ तो मृत्यु भी, तय है सबका वक्त।
इस $फानी संसार पर, क्यों इतना आसक्त।।
(62)
ध्यान-मग्न जो मनुज है, कुछ भी रखे न याद।
हर्ष-ईर्षा-मुक्त को, कैसाशोक-विषाद।।

(63)
धर्म-श्रवण बेकार है, गर श्रद्धा ना होय।
मोक्ष भला कैसे मिले, जब ना अंतस धोय।।

(64)
राग-द्वेष से दूर हो, करें सभी से प्यार।
समदर्शी जो बन गया, उसका बेड़ा पार।।

(65)
मोह-मैल से मुक्त हो, स्वच्छ भया उर-नीर।
वीतराग जीवन बना, सुंदर-पावन वीर ।।

3 टिप्पणियाँ:

रमेश शर्मा February 9, 2010 at 7:56 AM  

aap dohe nahee kaaljayee itihaas rach rahe hain. mera sujhaw hai ki jain samaj ke bandhuon ko ise lipibaddh karake prakashit aur prasarit karna chahie.

Yogesh Verma Swapn February 9, 2010 at 6:21 PM  

amoolya/anupam dohe hain , main ramesh sharma ji ke sujhav ka samarthankarta hun aur yah karya yathasheeghra karayen. dhanyawaad.

संजय भास्‍कर March 1, 2010 at 6:17 AM  

मौसम लिखता प्रेमपत्र,
बांच रहा आकाश.
बोल पड़े खगवृन्द तब,
कुहू-कुहू मधुमास.
bahut hi .........shaandar

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