''सद्भावना दर्पण'

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होली में ठिठोली मत करो...

>> Thursday, February 25, 2010


होलीके पहले फिर एक व्यंग्य-रचना देखिये. अब तो होली दरवज्जे पर ही खड़ी है जैसे.कह रही है- 
आओ लल्ला, खोलो पल्ला. 
गाल पे तेरे रंग लगा दूं,
मनहूसों-सा चेहरा क्यों है,
आओ तुझको तनिक मज़ा दूं..
नेताओं को काला रंग बड़ा भाता है..ऐसे नेता क्या आपके इलाके में भी रहते हैं. कुरसी  की कसम, मेरे इलाके में तो ऐसे अनेक है. एक नेता को चमचे जब रंग लगाने लगे, तो नेता ने कहा-उसे केवल काले रंग लगाएं जाएँ. क्यों कहा, खुद पढ़ लीजिये न....
(१)
होली में ठिठोली मत करो हमजोली मेरे, 
लाल-नीले-पीले मुझे रंग न लगाइए.
नेताजी की बातें सुन, चमचे भी भए सन्न, 
भैयाजी रंग में भंग न मिलाइए. 
भैयाजी डकारे,बोले, सुनो मेरे चम्मचों,
रंग न चढ़ेगा दूजा रंग न चढ़ाइए.
लाल, नीले, पीले रंग कचरे में डारिकै, 
कोयले को घिस मेरे गाल पे लगाइये.
नेताओ का प्यारा रंग तो काला ही होता है न. काला रंग क्यों पसंद है नेताजी को, इसका खुलासा करते हुए वे क्या कहते है, आप भी सुनिए....
नेता उवाच- 
काला रंग प्यारा मेरा, बड़ा ही दुलारा सुनो,
सुबह-शाम काला-काला बस घोटाला है.
पत्नी भी काली मेरी, साली भी है काली-काली,
ससुरा भी काले कारनामे करने वाला है.
मेरा हर काम काला काला ही लगे उजाला,
काला नंबर वन.. मेरा रंग ये निराला है.
इसीलिये भाई मेरे हाथ मै जोड़ूं तेरे,
कोयले को कोयले से मज़ा आने वाला है.

8 टिप्पणियाँ:

संजय भास्‍कर February 25, 2010 at 9:11 PM  

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

Kusum Thakur February 26, 2010 at 3:18 AM  

वाह गिरीश जी ,
व्यंग ही सही पर है सटीक !!
होली की अनेक शुभकामनायें !!

Kusum Thakur February 26, 2010 at 3:18 AM  
This comment has been removed by the author.
Udan Tashtari February 26, 2010 at 6:49 AM  

बहुत सटीक...अह्हा!! झन्नाटेदार!!

Yogesh Verma Swapn February 26, 2010 at 7:02 AM  

wah , bahut khoob. ..........holi ki shubhkaamnayen.

Anonymous February 26, 2010 at 7:48 AM  

मेरा हर काम काला काला ही लगे उजाला,!!!
बहुत सुंदर व्यंग्य रचना है !व्यंग्यार्थ और वाच्यार्थ दोनों सुंदर हैं ! होली की असंख्य शुभ कामनाएं !

संतोष त्रिवेदी March 2, 2010 at 8:05 AM  

bahut alag sa jagmag_jagmag sa hai aapka blog !

Anonymous July 14, 2010 at 10:14 AM  

रोचक और अच्छी गीत ।

सुनिए गिरीश पंकज को

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