सब कुछ गड़बड़झाला है जी
>> Friday, February 26, 2010
आप सब का फिर स्वागत है. होली के वातावरण को जीवंत बनाये रखने के लिए आज फिर एक व्यंग्य-गीत पेश है.
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
साँपों की बस्ती में हमने,
खरगोशों को पाला है.
पेट्रोल के दाम बढ़ गए, गुब्बारे में छूट है,
निर्ममता जब शासन करती, चौतरफा तब लूट है.
थोड़ी राहत, ज़्यादा आफत, यह तो 'दादागीरी' है,
क्या कर पाए आम आदमी, जीना इक मजबूरी है.
बजट नहीं यह होली के मौके पर काला-काला है.
सब कुछ गड़बड़झाला है जी सब कुछ गड़बड़झाला है..
नाम सत्यवादी था जिनका झूठों के सरदार मिले,
नाम सत्यवादी था जिनका झूठों के सरदार मिले,
जनहित का दावा था लेकिन बिके हुए अखबार मिले.
खादी अब नेताओं के पापों को ढंकने वाली है,
इनके महलों को बस देखो जनता में कंगाली है.
इनके कारण ही पिटता है देश में सदा दिवाला है,
सब कुछ गड़बड़झाला है जी सब कुछ गड़बड़झाला है
वर्दी का है अर्थ गुंडई, थाना मतलब नरक हुआ,
नरक कहो या जाओ थाने अब ना कोई फर्क हुआ.
लोकतंत्र है तो फिर बोलो, होठों पर क्यूं ताला है.
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
सत्ता का है अर्थ दलाली, माया बड़ी अजीब है,
हर लुच्चा इस दौर में यारो कुर्सी के करीब है.
आज सियासत में अपराधी या अपराध सियासत में,
अंतर समझ नहीं आता है, किसकी कौन मोहब्बत में.
काली है ये दाल कहो या दाल में थोडा काला है.
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
पश्चिम की आंधी में फंसकर नैतिकता नीलाम हुई,
इक्का-दुक्का के चक्कर में, हरेक कली बदनाम हुई,
पहले चुनरी उडी हवा में, अब तो जिस्म दिखावा है.
पश्चिम का है पागलपन ये, केवल एक छलावा है.
गंगाजल में अरे कहाँ से
बह कर आया नाला है..
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
जिसने पाला-पोसा उनसे ही बेटे अब बोर हुए,
कैसी है ये शिक्षा घर में पैदा अक्सर चोर हुए.
माँ-बाप से बढ़ कर अब तो ससुरा-साली-साला है
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
हर ब्लोगर अब कवि हो रहा, कविता पेलमपेल
शब्द कांपते डर के मारे कितना 'रिस्की' खेल
लेकिन खुश है चलो सभी ने रोग 'नेशनल' पाला है.
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
साँपों की बस्ती में हमने,
खरगोशों को पाला है.
8 टिप्पणियाँ:
जिसने पाला-पोसा उनसे ही बेटे अब बोर हुए,
कैसी है ये शिक्षा घर में पैदा अक्सर चोर हुए.
माँ-बाप से बढ़ कर अब तो ससुरा-साली-साला है
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
Sahi hai!
Holee kee anek shubhkamnayen!
Sir jee aap to khel khel me sach bata gaye..
Bahut paini nazar rakhe huen hay is dunia par,jahan sansar HOLIMAY hay wahin aap bhi majak majak me gambhir sonch de gaye ...
chaliye HOLI mangalmay tab hin hoga jab aap jaise HASAY KAVI ham sab ko aaina dikha de..
BAhut sundar prastuti..
HAOLI KI BADHAI
बहुत बहुत गड़बड़ झाला है
बजट ने काढ दिया दिवाला है।
उद्योगपतियों को रबड़ी मलाई
गरींबों छीन लिया निवाला है।
मो्बाईल कम्पयुटर खा कर
नित तुम अपना पेट भरो
चेहरे पर छाए मुर्दनी तो
हर्बल ब्युटी क्रीम लेप करो
नोट गिन झकास हुआ लाला है
बहुत बहुत गड़बड़ झाला है।
गिरीश भैया हो्ली के पाय लागी।
जिसने पाला-पोसा उनसे ही बेटे अब बोर हुए,
कैसी है ये शिक्षा घर में पैदा अक्सर चोर हुए.
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बिडम्बना तो यही है
लेकिन सबकुछ सही है
wah girish ji ekdam samyik aur sachhi abhivyakti. great.
aaj maine ek post dali hai blog par krapya padhen.
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
पश्चिम की आंधी में फंसकर नैतिकता नीलाम हुई,
इक्का-दुक्का के चक्कर में, हरेक कली बदनाम हुई,
पहले चुनरी उडी हवा में, अब तो जिस्म दिखावा है.
पश्चिम का है पागलपन ये, केवल एक छलावा है.
गंगाजल में अरे कहाँ से
बह कर आया नाला है..
आप सभी को ईद-मिलादुन-नबी और होली की ढेरों शुभ-कामनाएं!!
इस मौके पर होरी खेलूं कहकर बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ें.
साँपों की बस्ती में हमने,
खरगोशों को पाला है.
.... बहुत खूब !!!
सत्ता का है अर्थ दलाली, माया बड़ी अजीब है,
हर लुच्चा इस दौर में यारो कुर्सी के करीब है.
.....जबरदस्त !!!
माँ-बाप से बढ़ कर अब तो ससुरा-साली-साला है
सब कुछ गड़बड़झाला है जी
सब कुछ गड़बड़झाला है
....बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति, बहुत बहुत बधाई!!!
आपको और आपके समस्त परिवार को होली की शुभ-कामनाएँ ...
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