अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है,
>> Wednesday, May 5, 2010
बस्तर अशांत है, हिंसा का खेल खेलने वाले नक्सलियों के कारण. नक्सली विकास की बात करते है और हमेशा विनाश के दृश्य उपस्थित करते है. अरुंधती राय जैसी लेखिकाएं और कुछ छद्म बुद्धिजीवी नक्सलियों को महिमामंडित करते रहते है, जबकि नक्सलियों की हरकतें केवल निंदनीय है. आज देश भर से आये बुद्धिजीवियों ने रायपुर में एक शान्ति सभा ली. जिसमे कुछ समय के लिए अशान्ति फ़ैल गयी. (देखे सद्भावना दर्पण)कल वे बस्तर जायेंगे. सभा में नक्सली हिंसासमर्थक नकली बुद्धिजीवी नहीं थे. सब गांधीवादी सोच से संपृक्त. सभा से लौटा तो लगा मन में कुछ उमड़ रहा है, सो एक गीत बन गया, उसे पेश कर रह हूँ.
गीत...
अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है,
तिमिर को गर भगाना है, हमें हर रात जलना है..
ये जीवन है बड़ा सुन्दर करें दुखियों की सेवा हम,
न पालें द्वेष आपस में, करें न प्यार अपना कम.
ये साँसें चल रही कब तक अरे इसमे भी छलना है.
अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है....
ये हिंसा क्यों हमें इतना लुभाने लग गयी भाई
कभी हिंसा से ही बदलाव की आंधी कहाँ आई.
जो खूनी मन है लोगों का उसे पहले बदलना है.
अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है.
चले हम राह ऐसी जिसपे चलते हो सभी साथी.
नहीं ऊंचा कोई नीचा, रहे दीया के संग बाती.
चलेंगे हम गिरेंगे भी मगर हमको संभालना है
अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है.
तिमिर को गर भगाना है, हमें हर रात जलना है.
अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है.....
8 टिप्पणियाँ:
तिमिर को गर भगाना है, हमें हर रात जलना है.
अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है....
बहुत ही बढ़िया...सीख देती रचना
तिमिर को गर भगाना है, हमें हर रात जलना है.
अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है.....!!!
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत अहिंसा है ! आप देशभक्ति का अलख जगाते रहिये ! हर भारतीय आपके साथ है !
गि्रीश भैया
कई वर्षो पहले आडवाणी के मुंह से छद्म धर्मनिरपेक्षता नामक शब्द सुना था, उससे पहले कभी सुना नहीं था। तब से यह शब्द सब जगह प्रचलन में आ गया है।
छद्म की जगह सीधे सीधे नकली नहीं कह सकते क्या? या इस शब्द को सम्मान जनक बनाने लिए कुछ और भी प्रयोग इसके साथ किए जाने चाहिए।
बहुत अच्छा गीत है, तिमिर को भागना ही होगा।
जब चल पड़े है कदम तो,सभी को जागना ही होगा
आभार
अब की बार आपने शब्दों के अर्थ नहीं दिए सो मुझे थोड़ी दिक्कत आ रही है पर फिर भी आप के मन की बात मेरे मन तक अपना असर छोड़ने में सफल रही !!
एक बढ़िया रचना के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ !!
नहीं ऊंचा कोई नीचा, रहे दीया के संग बाती.
सुन्दर सेवा भाव से लिखी गयी रचना है ...
बहुत जबरदस्त!!
तिमिर को गर भागना है ..हमें हर पल जलना है ...
चलेंगे , गिरेंगे मगर संभलेंगे भी ...
जोश उत्साह बना रहे ...बनाते रहे ..शुभकामनायें ...!!
एक बढ़िया रचना के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ !!
Post a Comment