जब्बार ढाकवाला को याद करते हुए एक ग़ज़ल ..
>> Saturday, May 8, 2010
मेरे बेहद आत्मीय मित्र-लेखक जब्बार ढाकवाला और उनकी पत्नी ''तरन्नुम'' का चंबा के पास एक हादसे में कल ७ मई को निधन हो गया. उस भयानक हादसे की कल्पना कीजिये, कि उनकी कार पांच सौ मीटर गहरी खाई में जा गिरी. पल भर में जीवन का खेल ख़त्म....ढाकवाला जी के पर्स से उनका पता-ठिकाना मिला. फोन नंबर मिले तो वहां की पुलिस ने भोपाल उनके कुछ मित्रों को सूचित किया.फिर मध्यप्रदेश के राजकीय विमान से उनके शव आज अपरान्ह ३-४ रायपुर लाए गए. रात ९ बजे मौदहापारा के कब्रिस्तान में दोनों सुपुर्देखाक हो गए. केवल ४-५ लेखक मैयत में शरीक हुए. बाकी उनके रिश्तेदार आदि ही थे. मैं भी वही से लौटा तो जब्बार भाई का चेहरा बार-बार सामने आता रहा तो लगा कुछ शेर आकार ले रहे है. बस, बैठ गया, तो कलम चलने लगी. कल मैंने अपने एक और ब्लॉग ''सद्भावना दर्पण'' में जब्बार जी पर एक लेख लिखा था. समय मिले तो एक बार देख ले.खैर. अब दो लोग इतिहास हो गए. आज जब्बारजी पर लिखे गए कुछ शेर दे रहा हूँ.
5 टिप्पणियाँ:
सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से श्रध्दासुमन !!
विनम्र श्रद्धांजलि
आपके मित्र वियोग से हम भी दुखी हैं ... हमारी तरफ से उनके लिए विनम्र श्रद्धांजलि स्वीकार करें !
पंकज जी मैने भी सुना बेहद दुखद समाचार ...साहित्य की बहुत बड़ी क्षय....कविट पढ़ कर आँखे नम हो गई...पंकज जी जब्बार जी श्रद्धांजलि !!!
हमारी तरफ से उनके लिए विनम्र श्रद्धांजलि स्वीकार करें !
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