गीत./नून, तेल, लकड़ी के पीछे....
>> Monday, May 24, 2010
अपनी सबसे लम्बी ग़ज़ल के बाद अब मै गीत विधा की ओर लौट रहा हूँ. गीत, नवगीत, ग़ज़ल, दोहे, नई कविता, बाल कविता, व्यंग्य, कहानी, लघुकथा, लेख ....जब जैसा मन हो जाये लिखना चाहिए.सृजन अपना आकार खुद-ब-खुद ले लेता है. मन अपनी विधा खुद चुन लेता है. अब एक गीत...सुधी पाठको के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ.
गीत
नून, तेल, लकड़ी के पीछे
एक उम्र बेकार हो गयी.
कैसे करता पार इसे मैं,
स्वारथ की दीवार हो गयी.
मैं, मेरा औ मेरे अपने,
इनके बाहर निकल न पाया.
दूजे के पतझर पर ही क्यों,
अपने उपवन को हरियाया.
ये दिमाग तो जीत गया पर,
मेरे मन की हार हो गयी....नून-तेल, लकड़ी.....
सोने का इक हिरन मिला तो,
उसके पीछे दौड़ लगाई.
थककर चूर हुआ तो देखा,
वह थी केवल इक परछाई.
नैतिकता की श्वेत चुनरिया,
तार-तार, बस तार हो गयी....नून-तेल, लकड़ी.....
रामायण थी पूजा घर में,
राम कभी न काम आ सके.
कंठ मिला था कोयल जैसा,
गीत मधुर पर नहीं गा सके.
बन जाती वरदान ज़िन्दगी,
लेकिन यह तो भार हो गयी.
कब तक सपनों की गठरी संग,
बंजारे को चलना होगा.
इस तपती राहों में आखिर,
पैरों को यूं जलना होगा.
टूट गए या हार गए तो,
जिनगी यह निस्सार हो गयी.
नून, तेल, लकड़ी के पीछे
एक उम्र बेकार हो गयी.
(लकड़ी की जगह आजकल गैस का चलन है इसलिए गैस भी पढ़ा जा सकता है)
14 टिप्पणियाँ:
agar gas padhna ho to aur bhi jod dena chchaiye lay barkaraar rahegi...badi hi umda rachna...sahi kaha bahut kuch chhoot jaata hai...is bhagdaud me...
badhiya geet bana hai .... bahuton ke haalat bayaan kar rahi hai
आज की सोच और जिंदगी की आपाधापी पर लिखा सटीक गीत....अच्छी अभिव्यक्ति
सच्चाई बयाँ करती आपकी ये कविता!एक पुरानी हरयाणवी राग्णी याद आ गयी जी....
"छोट गए सब रंग राग......
तीन चीज बस याद रह्ग्यी,नूण ,तेल,लकड़ी....कुंवर जी,
आज के जीवन की सच्चाई है यह !! बहुत बढ़िया रचना !
सोने का इक हिरन मिला तो,
उसके पीछे दौड़ लगाई.
थककर चूर हुआ तो देखा,
वह थी केवल इक परछाई.
-यथार्थ दर्शन हुए रचना में.
... प्रसंशनीय !!!
एकदम सटीक। आपको अक्सर पढ़ता रहता हूं। लकड़ी और गैस वाली बात खूब कही।
बहुत सुंदर जिन्दगी का सार ही लिख दिया आप ने कविता मै. धन्यवाद
प्रभावशाली सुन्दर रचना..
... बेहद प्रभावशाली
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
नून , तेल , लकड़ी के पीछे उम्र बेकार हुई ...
अच्छी कविता
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 27 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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