कानपुर के अभिषेक को समर्पित एक गीत
>> Thursday, May 27, 2010
आज एक समाचार पढ़ा कि जूता पालिश करने वाले पिता के मेहनतकश बेटे ने लालटेन की रौशनी में पढ़ाई करके 'आईआईटी'की परीक्षा पास की.पिछले दिनों एक और खबर आई थी, कि एक मजदूर का लड़का कलेक्टर बन गया.समय-समय पर इस तरह की प्रेरक खबरे उन बच्चों का हौसला बढ़ाती है जो तनिक-सी परेशानियों से घबरा जाते है. आज बहुत से संपन्न परिवार के लड़कों को तमाम तरह की सुविधाएँ चाहिए, तब तो उनका पढ़ने का मूड बनाता है. दूसरी तरफ ये बच्चे है, जो अपना इतिहास खुद लिखते है. अँधेरे के खिलाफ लड़ने वाले इन युवको को केवल नमन किया जा सकता है. ये ही सच्चे नायक हैं. भारत जैसे विकासशील देश में जब कोई अभावग्रस्त युवक सफल हो कर चमकता है तो संतोष होता है,कि अभी भी संभावना जिंदा है. वरना जैसा माहौल है, उसे देख कर तो लगता है कि सारा उजाला एक वर्ग विशेष के हिस्से में ही चला जा रहा है. लेकिन कानपुर के अभिषेक की मेहनत ने साबित कर दिया है, कि अगर हम ठान लें मन में, सफलता पास आती है..हम भी औरों की तरह अपना चेहरा चमका सकते है. बस, इसी खबर ने आज मन में हलचल पैदा कर दी और यह गीत बन गया, देखें....
गीत.....
अगर हम ठान लें मन में, सफलता पास आती है,
भले मौसम हो कैसा भी, कली यह खिल ही जाती है.
कहाँ तकदीर लिखती है, उजाला सबके हिस्से में,
कहाँ खुशियाँ नज़र आती हैं, अक्सर अपने किस्से में.
मगर मेहनत कड़ी कर लें, खुशी तब मुस्कराती है.
अगर हम ठान लें मन में, सफलता पास आती है...
कहा था ईश ने हमको, करो संघर्ष जीवन में,
तभी मै दे सकूंगा ओ मनुज, उत्कर्ष जीवन में.
इसी के वास्ते संघर्ष, अपनी आज थाती है..
अगर हम ठान लें मन में, सफलता पास आती है..
अँधेरे से लड़े हैं हम, उजाला तब मिला हमको,
चले आओ कि हम भी बाँट दें, उजियार कुछ तुमको.
जो हैं श्रम के पुजारी, रौशनी उनको सुहाती है...
अगर हम ठान लें मन में, सफलता पास आती है...
नहीं मिलता यहाँ कुछ भी, सरलता से कभी साथी,
अगर हम चाहते हैं रोशनी, जल जाये बस बाती.
सफलता साधको के द्वार पर झाड़ू लगाती है.
अगर हम ठान लें मन में, सफलता पास आती है,
भले मौसम हो कैसा भी, कली यह खिल ही जाती है.
14 टिप्पणियाँ:
सबसे पहले तो कानपूर के गंगापुर कॉलोनी के अभिषेक कुमार भारती को बधाई ... उसने ये साबित कर दिया है की मेहनत से इंसान बहुत कुछ कर सकता है ...
आपकी यह रचना भी बहुत सुन्दर है ... हौसला बढाती ... एक आशावादी रचना ...
बहुत ही सुन्दर गीत बच्चो के लिए प्रेरक .............
मेहनतकश बच्चो को बधाई ..................और सुखद भविष्य की शुभकामना .............
ये गीत "परिश्रम ही सफलता की कुंजी है".....बताता हुआ.....बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
अभिषेक के लिए शुभकामनायें
सफलता साधको के द्वार में झाड़ू लगाती है.
प्रेरणास्पद गीत, धन्यवाद भईया.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..........मेहनतकश बच्चो को बधाई ..................और सुखद भविष्य की शुभकामना .............|
behad prerak rachna hai ... gudri me laal chipa hota hai ..iska sateek udaharan hai ye bachha.. aisi prerak rachnaon ki aawashyakta hai samaaj ko ...
chacha ji prnaam...
bilul sach se rubru karwati aapki yah kavita hausalon se bhar deti hai waise bhi aapki rachnaon ka koi jawab nahi hota par aaj ek badhiya prsang se bhari hue satik chitran karati behtareen rachana hai..mujhe bahut hi achcha laga..prnaam chacha ji
अभिषेक कुमार भारती को मेरा आशीर्वाद, मैने यह खबर कल पढी थी, बहुत सुंदर लगा, कुछ समय पहले एक चपडासी की लडकी कलेकटर बनी... ऎसी खबरे सुन कर लगता है आज भी हमारे देश मै लायक नो जवानो की कमी नही, धन्य है वो मां बाप जो अपने बच्चो मै ऎसे संस्कार डालते है
आपकी कलम से निकली रचना की मैं क्या तारीफ करुँ... हाँ पर अभिषेक की तारीफ तो कर ही सकता हूँ.
अच्छी रचना..
अभिषेक के लिए ढेरो शुभकामनायें
अगर हम ठान लें मन में, सफलता पास आती है,
भले मौसम हो कैसा भी, कली यह खिल ही जाती है.!!
बहुत ओजस्वी है यह गीत !!! बहुत बहुत बधाई !
आपकी ( नून , तेल ,लकड़ी के पीछे /गीत ) रचना चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर मंगलवार १.०६.२०१० के लिए ली गयी है ..
http://charchamanch.blogspot.com/
Sach kaha hai Girish ji
agar man mein thaan le to manzil mil hi jaati hai
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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