एक जून ...दो ग़ज़ले...
>> Monday, May 31, 2010
एक जून... सुधी पाठक अनुमान लगा सकें तो लगा लें, मगर मैं बताऊंगा नही, कि आज के दिन क्या हुआ था. बस इतना ही कहूंगा कि, ज़िंदगी की राह पर अच्छा-खासा अकेला चला जा रहा था, कि कोई और साथ आ गया और बोला, ''अकेले-अकेले कहाँ जा रहे हो/ हमें साथ ले लो, जहाँ जा रहे हो'' लेकिन हम रुके नहीं, तो वह फिर मीठी आवाज में बोल पडा-'' बाबूजी धीरे चलना, प्यार में ज़रा संभालना'' हम फिर भी नहीं रुके मगर उसने हार नहीं मानी और कहा-''जाइये आप कहाँ जायेंगे, ये नज़र लौट के फिर आयेगी. और...आखिर नज़र को लौटना ही पडा. हमने भी कहा- ''तुमने पुकारा और हम चले आये.'' नज़रे चार हुईं और 'अकेला' राही 'दुकेला' हो गया. वो खूबसूरत तारीख थी एक जून...उसी दिन को याद करते हुए कुछ रोमांटिक शेर पेश कर रहा हूँ अपनी फितरत के बिल्कुल विपरीत. क्या करे आज का दिन ही कुछ ऐसा है.वैसे आज बहुत शादियाँ है और आपको कहीं न कही किसी समारोह में जाना ही होगा. इसलिए अब वक्तव्य समाप्त......ज़्यादा मत सोचिये और समय निकल कर ये छोटी-छोटी ग़ज़ले पढ़ लीजिये.
(१)
तुम आते हो पास बहुत अच्छा लगता है
मिट जाते संत्रास बहुत अच्छा लगता है
जीवन के पतझर से जूझा.. बस तेरी
आँखों का मधुमास बहुत अच्छा लगता है
तुम ऐसी हो नदी कि जिसको पी कर के
बढ़ जाती है प्यास बहुत अच्छा लगता है
तुमने संघर्षों में मेरा साथ दिया है
जीवन आया रास बहुत अच्छा लगता है
मेरी राह तका करते हो तुम अक्सर
मुझको यह अहसास बहुत अच्छा लगता है
साथ हमारा रहे सलामत बस पंकज
हो चाहे बनवास बहुत अच्छा लगता है.
(२)
जाने क्या है बात तुम्हारी आँखों में
कट जाती है रात तुम्हारी आँखों में
तुमको चाहा और भला क्या चाहूँगा
अनगिन है सौगात तुम्हारी आँखों में
दुनिया से हरदम खाया धोखा मैंने
बस सच्चे ज़ज्बात तुम्हारी आँखों में.
तपते मौसम में भी शीतलता पाई
इक रिमझिम बरसात तुम्हारी आँखों में
अन्धकार चहुओर नज़र आये लेकिन
है ''मंजुल'' इक प्रात तुम्हारी आंखों में
27 टिप्पणियाँ:
गिरीश जी ,
जहाँ तक मैं समझी हूँ शादी की सालगिरह है....
बहुत बहुत मुबारक शादी की वर्षगाँठ ...
और दोनों गज़लें तो आपके दिल का आईना हैं....
श्रीमति जी को भी मेरी तरफ से बधाई दीजियेगा
साथ हमारा रहे सलामत बस पंकज
हो चाहे बनवास बहुत अच्छा लगता है.
अन्धकार चहुओर नज़र आये लेकिन
है ''मंजुल'' इक प्रात तुम्हारी आंखों में
मुझे लगता है अभी कुछ लाइनें और बढ़ सकती हैं। नहीं क्या? खैर, पंकज जी और गिरीश जी दोनों लोगों से कह रहा हूं कि कभी कभी दूसरों के ब्लॉग पर भी जाया करिए। और हां अगर वाकई शादी की सालगिरह है तो मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें।
http://udbhavna.blogspot.com/
दोनों ही ग़ज़लें आपके लेखन का मुरीद बनाती हुई लगीं..
दादाजी की तरफ से आपको बहुत-बहुत मुबारकबाद। एक समय हमें भी प्यार हुआ था लेकिन तब वैसा जमाना नहीं था। हमें अपने बेटों से पूछना पड़ता था कि प्यार करें या न करें। अब तो बड़ा बेशर्म जमाना आ चुका है औलादें मां-बाप से पूछती ही नहीं।
खैर ये ब्लागजगत है। यहां एक से बढ़कर एक लोग है। आप अच्छी गजलें लिखते हैं.. मुगले आजम के समय मिलते तो जरूर आपकी गजल को हम फिल्म में डलवा देते। खैर अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है मैं अपने छोकरों से कहता हूं कि वे इसका प्रबंध करें। वैसे एक लड़का मेरा जो पापाजी बनकर खो गया है मैं उसकी तलाश में निकला हूं पता चला है कि अमरकंटक में कहीं देखा गया है। वही अमरकंटक जहां गिरीश बिल्लौरे साधु-संतो को गांजा पीते हुए देखने गया था।
badhai badhai aur badhai aapko salgirah ki, post se to yahi pratidhwanit ho raha hai ki shadi ki salgirah hai...
गिरीश भैया आपको और भाभी जी वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं।
बस आज एक पार्टी दे, हमें भी बुलाएं और सालगिरह मनाएं, आनंद उठाएं।
वाह जी, शादी की सालगिरह मुबारक हो..हमारी तो पार्टी डायरी में लिख लें..दिसम्बर में अलग से...भौजी के हाथ के बने खाने साथ. तय रहा?
जाने क्या है बात तुम्हारी आँखों में
कट जाती है रात तुम्हारी आँखों में
-आज तो मौके विशेष पर भाभी को यह पंक्ति गा कर सुना ही दिजिये..हिम्मत करिये, काम आयेगी. :)
आपके लिखने मे है जो बात बहुत अच्छा लगता है
दोनो ही गजलें बेहतरीन। गजल के पहले की पंक्तियाँ भी रोचक हैं। बहुत पहले की लिखी निम्न पंक्तियों की याद दिला दी आपने -
जब होती चार आँखें, आँखों से होती बातें
आँखों से प्यार होता, आँखों में कटती रातें
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बेहतरीन ग़ज़ल ....दोनों ही !
हमेशा की तरह जानदार, शानदार और जबरदस्त।
ऊपर दी गई सूचना भी सुखद है आपको बधाई।
आता हूं आइसक्रीम गटकने के लिए।
मेरे ब्लाग पर आपके हंसने के लिए कुछ है।
सभी चाहने वालों को...बधाई देने वाले ब्लागर भाई-बहनों को धन्यवाद..दिल से...
गिरीश जी भाई साहब और आदरणीया भाभीजी ,
विवाहोत्सव की वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं !
गर्मी के कारण स्वास्थ्य सही न होने से विलंब से आया हूं , तदर्थ क्षमा चाहूंगा ।
आज रचनाओं पर कुछ भी कहते नहीं बन रहा , मन से यही उच्चरित हो रहा है …शुभकामनाएं , …शुभकामनाएं , …शुभकामनाएं !
पुनः हार्दिक शुभकामनाएं !
waah dono hi rachnaayein lajawaab...aur haan shaadi ki varshgaanth ki badhaiyan
शादी की सालगिरह मुबारक हो.
वाह वाह जी आंदाज बहुत अच्छा लगा...
आप दोनो को हमारी तरफ़ से शादी की वर्ष गांठ की बहुत बहुत बधाई.
कविता बहुत सुंदर लगी
धन्यवाद
varshgaanth ki bahut bahut shubhkamnayen aap ko ..achhi ghazlen hain dono
गिरीश जी , आप दोनों को शादी की वर्षगाँठ की ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएं !!
कुडि़यों से चिकने आपके गाल लाल हैं सर और भोली आपकी मूरत है http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/06/blog-post.html जूनियर ब्लोगर ऐसोसिएशन को बनने से पहले ही सेलीब्रेट करने की खुशी में नीशू तिवारी सर के दाहिने हाथ मिथिलेश दुबे सर को समर्पित कविता का आनंद लीजिए।
सबसे पहले तो आपको ,,बहुत-बहुत बधाई ..आप जीवन में हमेशा खुश रहे ,,ईश्वर से यही दुआ है ,,आपकी दोनों रचनाएं बहुत सुन्दर है ,,,आपके मार्गदर्शन की मुझे आवश्यकता है ...कृपया आप मेरे ब्लॉग पर पधार कर कुछ आशीष और सुझाव दे ...
आपने मेरी रचना की प्रशंशा की ..अच्छा लगा ,,,'chhand ko bachanaa zaroori hai.'
यह बात मैं समझा नहीं थोड़ा खुलकर बताये ,,,मुझे मार्गदर्शन की आवश्यकता है ,,मैं पूर्णतया त्रुटिहीन लिखना चाहता हूँ ..चाहे छन्दों की सुन्दरता कम हो ,,,,कृपया बताने का कस्ट करे ..मैं आपक आभारी रहूँगा
"दुकेले" होने की बहुत बहुत बधाइयाँ !!
बढ़िया लगी आज की पोस्ट !
र दोनों गज़लें तो आपके दिल का आईना हैं.
हमेशा की तरह जानदार, शानदार और जबरदस्त
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