गीत / हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला ...
>> Tuesday, June 15, 2010
गाय... कहने को मनुष्येतर जीव है. लेकिन देखा जाये तो वह अपनी माँ से बढ़कर है. माँ का दूध हम दो साल तक पीते हैं लेकिन गाय कादूध जीवन भर. गाय से बनी चीज़ें भी हमारे साथ जीबव भी चलती है,. दही, मठा, छाछ, खीर, मलाई, रसगुल्ला. गुलाब जामुन, आदि न जाने कितनी चीज़े है, जिनके बिना जीवन अधूरा-सा लगता है. ऐसी पुन्यकोटि गाय को हम जीवन से बहिष्कृत करते जा रहे है. गाय कभी हमारे जीवन के केंद्र में राही है, लेकिन आधुनिकता काऐसा खुमारचढ़ा कि हमने गाय को गोमांस के लिए पालना शुरू कर दिया. अब तो लोग गाय को चारा नहीं माँस खिला रहे है,ताकि वो मोटी-ताज़ी हो सके. अपने समाज में ऐसे अनेक नीच मिल जायेंगे जो गाय की ह्त्या को सही ठहरा सकते है.खैर, लिखते-लिखते इस विषय पर लंबा लेख लिखा जासकता है. इधर मैंने गाय की दुर्दशा पर सवा दो सौ पेज का एक उपन्यास ही लिख लिया है. उस पर कभी चर्चा करूंगा. अपने ब्लॉग में मै इसके पहले भी दो-तीन लिख चुका हूँ. मैं नास्तिक हूँ. पूजा-पाठ नहीं करता, मंदिर नहीं जाता,लेकिन मै गाय को प्रणाम करता हूँ, क्योकि उसका क़र्ज़ है मुझ पर.कर्ज़दार को तो झुकना ही पड़ता है. क़र्ज़ भी पटाना पड़ता है इसीलिए गाय पर कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ. एक बार फिर यह गीत सहन कीजिये....
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला,
ऐसा गर हो जाये तो फिर भारत किस्मतवाला.
गाय हमारी माता है यह, नहीं भोग का साधन.
इसकी सेवा कर लें समझो, हुआ प्रभु-आराधन.
दूध पियें हम इसका अमृत, गाय ने हमको पाला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...
गाय दूर करती निर्धनता, उन्नत हमें बनाए,
जो गायों के साथ रहे वो, भवसागर तर जाए.
गाय खोल सकती है सबके, बंद भाग्य का ताला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...
'पंचगव्य' है अमृत यह तो, सचमुच जीवन-दाता.
स्वस्थ रहे मानव इस हेतु, आई है गऊ माता.
गाय सभी को नेह लुटाये, क्या गोरा क्या काला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला....
गाय बचाओ, नदी और तालाब बचाओ ऐसे,
'गोचर' का विस्तार करें हम अपने घर के जैसे.
बच्चा-बच्चा बने देश में, गोकुल का गोपाला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...
गौ पालन-गौसेवा से हो, मानवता की सेवा,
गौ माता से मिल जाता है, बिन बोले हर मेवा.
कामधेनु ले कर आती है जीवन में उजियाला..
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...
13 टिप्पणियाँ:
waah kavita ke madhyam se ek badhiya sandesh
जय गौ माता..चाचा जी बहुत सुंदर गीत के रूप में आपने गौ माता की महिमा का गुण गया है ..लगभग अछूता सा विषय है गौ संरक्षण..बहुत कम लोग ही ब्लॉग पर इस बारे में बात करते है..मुझे आपकी पोस्ट बहुत अच्छी लगी और कविता तो बहुत ही भावपूर्ण हमें गौ माता के प्रति श्रद्धा का भाव लाना चाहिए...सुंदर रचना के लिए बधाई प्रणाम चाचा जी
बहुत अच्छी पंक्तियां।
गऊ, गंगा तो माई है. आपनें बहुत सुन्दरता से अपनी अभिव्यक्ति प्रकट की है.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
vande gau matram...
बहुत सुंदर
iisanuii.blogspot.com
प्रभावशाली लेखन।
( आइये पढें ..... अमृत वाणी। )
बहुत सुन्दर गीत....उम्दा संदेश!
भैय्या बहुत सुन्दर प्रस्तुति...मेरे ब्लाग को अपने ब्लाग में लगाने के लिए आभार आपका
गाय को गाय की तरह देख कर लिखा गया गीत है यह अच्छा लगा ।
शानदार बल्कि बहुत ही शानदार। अपने उस ओर ध्यान आकृष्ठ कराया है जिस ओर लोग नहीं करते। बधाई।
http://udbhavna.blogspot.com/
गिरीशजी ,
नमस्कार !
गौ माता को समर्पित आपके एक और सुंदर गीत … हर घर में हो एक गाय और गांव-गांव गौशाला के लिए आभार !
हां , सुनिए गिरीश पंकज को बहुत उत्सुकता के साथ सुना … आपका काव्यपाठ सुनने की उम्मीद से ।
… लेकिन , कविता संबंधी आपके विचार भी बहुत अच्छे लगे ।
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
गौ-माता की प्रशंसा में लिखी गई,एक उत्तम कविता!
गाय माता के ऊपर आपके द्वारा लिखा गया लेख एवं कविता बहुत ही अच्छे लगे, इसके लिए आपको साधुवाद। मैं भी गाय के दूध को अमृत के समान मानता हूँ और उसका सेवन भी करता हूँ। गाय के दूध को पीने से शरीर निर्मल रहता है और आत्मा शुद्ध रहती है।
गिरीशजी ,
नमस्कार !
गौ माता को समर्पित आपके गीत … हर घर में हो एक गाय और गांव-गांव गौशाला के लिए आभार !
गाय के ऊपर आपने बहुत बढ़िया गीत लिखा है, इसी तरह लोगों में जागरूकता फैलाते रहें. कुछ बात रखना चाहता हूँ, १९४७ में जब देश स्वतंत्र हुआ तब प्रति १००० व्यक्ति पे लगभग ६५० गायें होती थीं पर आज मात्र यह संख्या ६०-६५ हो गयी है, स्थिति बहुत भयावह है, सरकार देश में ४०००० से ज्यादा कत्लखाने चला रही और आने वाले दिनों में ५३० नये अत्याधुनिक कत्लखाने खोलना चाहती है, इस देश में हर दिन ६ लाख बेजुबानों को बड़ी ही क्रूरता से क़त्ल किया जा रहा है, क्या मनुष्यता मर चुकी है.
हमने नवी मुंबई (वाशी) में गायों और सभी निरीह/निर्दोष अबोल पशुओं को संरक्षण देने के लिए ' अखिल भारतीय कत्लखाना एवं हिंसा विरोध समिति' का गठन किया है. जो जल्द ही पूरे भारत में एक जन आन्दोलन खड़ा करेगी. और इसकी शुरुआत हमने नवी मुंबई में बनने वाले कत्लखाने को रद्द करवा के कर दी है.
आज हर भारतीय का फ़र्ज़ है कि वो गायों व अन्य पशुओं के प्रति संवेदनशील बने, वर्ना आने वाले समय में भारत गाय विहीन हो जाएगा.
praveen kumar jain
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