ग़ज़ल/इसको जीने-खाने दो...
>> Friday, July 2, 2010
जीवन दुःख की कथा है. हर व्यक्ति के जीवन में एक व्यथा है. लेकिन समझदार उसे पार कर लेता है. दुःख को साथी बनाने के लिये कवि प्रेरित करते रहे है. सुख-दुःख और संघर्ष के विभिन्न रूपों को सोचते हुए कुछ शेर बन गए. आप सब गुण-ग्राहकों की खिदमत में पेश हैं-
इसको जीने-खाने दो
दुःख आता है आने दो
सुख जैसे इक छलिया है
जाता है तो जाने दो
जीत हमारी निश्चित है
वक़्त ज़रा तो आने दो
हार नहीं तुम मानोगे
दुश्मन को थक जाने दो
तुम तो अपना काम करो
लोगों को समझाने दो
मरकर भी जीयोगे तुम
कुछ अच्छे अफसाने दो
बेशक मत तारीफ़ करो
ऐसे तो ना ताने दो
वादा तेरा वादा है
जब भी मिले बहाने दो
आओ बदलें यह दुनिया
निकलें हम दीवाने दो
मिहनतकश है वो साथी
उसको तो हक पाने दो
मत रोको मन को पंकज
मूड हुआ तो गाने दो
13 टिप्पणियाँ:
हार नहीं तुम मानोगे
दुश्मन को थक जाने दो
खूबसूरत गज़ल...आगे बढने कि प्रेरणा देती हुई...
"जीत हमारी निश्चित है
वक़्त ज़रा तो आने दो
हार नहीं तुम मानोगे
दुश्मन को थक जाने दो"
उसी वक़्त का तो इंतज़ार है .......................बहुत बढ़िया रचना !
पंकजजी ,
अच्छी रचना के लिए बधाई !
जीवन दर्शन झलकता है इस शे'र में…
मरकर भी जीयोगे तुम
कुछ अच्छे अफ़साने दो
मेरे मिज़ाज की अभिव्यक्ति है मक़्ते में…
मत रोको मन को पंकज
मूड हुआ तो गाने दो
और रदीफ़ को बदले बिना नये अर्थ के साथ नये शब्द की तरह ढाल देने की कारीगरी पसंद आई…
आओ बदलें यह दुनिया
निकलें हम दीवाने दो
साभार … !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
मरकर भी जीयोगे तुम
कुछ अच्छे अफसाने दो
-बहुत उम्दा गज़ल..छोटे बहर की.
एकदम ल्यूकोजेड की तरह काम कर रही है ये ग़ज़ल सर..
सुन्दर लेखन।
सुख जैसे इक छलिया है
जाता है तो जाने दो
वाह बहुत खूब । हर शेर उमदा है किस किस की तारीफ करूँ। शानदार गज़ल के लिये बधाई।
वाह-वाह भाई साहब
मजा आ गया।
पैनी धारधार गजल।
बहुत अच्छी रचना जी. धन्यवाद
मूड हुआ तो गाने दो ......
वाह क्या मिठास है ... शुभकामनायें !
वाह क्या बात कही है...
मूड हुआ तो गाने दो
सच में लेखक वाली बात...
कबीर का सा स्टाईल याद आ गया.
कबीरा खड़ा बाजार में..
मांगे सब की .....
बहुत खूब...
कितने सुंदर भाव पिरोए,
क्या बोलूँ मैं, जाने दो,
चाचा जी एक बढ़िया सरल-सटीक ग़ज़ल के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ..आप की ग़ज़ल में यहीं खास बात होती है..बिल्कुल सरल पर भाव एक एक बढ़ कर एक बेहतरीन होते है...आज की रचना भी लाजवाब.....बधाई स्वीकारें...प्रणाम
raddef ka isse behtar istemaal kya ho sakta tha...
आओ बदलें यह दुनिया
निकलें हम दीवाने दो
saral bhasha me sunder gazhal...
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