''सद्भावना दर्पण'

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२२ जुलाई झंडा दिवस पर विशेष....

>> Wednesday, July 21, 2010

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सबको ध्वज से प्यार है

जान से प्यारा है अपना ध्वज, इसकी आन बचाएँगे,
वक़्त पडा तो इसकी खातिर, अपनी जान लुटाएँगे.

कहते हैं हम इसे तिरंगा, यह अपनी पहचान है.
तीन रंग वाला यह झंडा, भारत माँ की शान है.
आँच न इस पर आने पाए, यही कसम हम खाएँगे.
जान से प्यारा है अपना ध्वज. इसकी आन बचाएँगे...

भगवा, श्वेत, हरा यह तीनों, रंग हमारी पूजा है.
इसके बिना और न कोई, देव हमारा दूजा है.
जिन्हें देश प्यारा है वे सब, इसके ही गुण गायेंगे...
वक़्त पडा तो इसकी खातिर, अपनी जान लुटाएँगे.

लेकिन अब यह नया दौर है, बदल रहा व्यवहार
मिल जायेंगे शातिर जिनको, नहीं देश से प्यार.
ऐसे नालायक लोगो को, हम भी सबक सिखाएंगे.
जान से प्यारा है अपना ध्वज, इसकी आन बचाएँगे..

'झंडा ऊंचा रहे हमारा' कह कर के कुर्बानी दी.
वीर शहीदों ने भारत को, फिर से नई जवानी दी.
इस झंडे की खातिर फिर से, गीत नए हम गाएँगे.
जान से प्यारा है अपना ध्वज. इसकी आन बचाएँगे..

लाख आधुनिक हो जाएँ पर देश देश ही रहता है,
इसका कण-कण हमको प्यारा, यह लोहू में बहता है.
देशद्रोही जो दिखते उनको, हम रस्ते पर लाएँगे...
जान से प्यारा है अपना ध्वज. इसकी आन बचाएँगे..

भारत माता और तिरंगा, इसे त्यागना मुश्किल है.
रहें देश या बाहर में हम, यह तो अपनी मंजिल है.
जहाँ रहेंगे अपने ध्वज को, कभी नहीं बिसराएंगे ..
जान से प्यारा है अपना ध्वज. इसकी आन बचाएँगे....

लोकतंत्र का अर्थ नहीं बस हम अपना गुणगान करे.
धर्म को अपना सबकुछ जानें, ध्वज का हम अपमान करें,
जिनने ऐसी गलती की वे, क्या मनुष्य कहलाएँगे....
वक़्त पडा तो इसकी खातिर, अपनी जान लुटाएँगे. ...

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सबको ध्वज से प्यार है.
जिसने इसकी फ़िक्र नहीं की, समझो वह गद्दार है.
देश से बढ़ कर कौन हुआ है, क्या यह भी समझाएंगे..
वक़्त पडा तो इसकी खातिर, अपनी जान लुटाएँगे.

जान से प्यारा है अपना ध्वज. इसकी आन बचाएँगे,
वक़्त पडा तो इसकी खातिर, अपनी जान लुटाएँगे.

12 टिप्पणियाँ:

arvind July 21, 2010 at 10:02 PM  

जान से प्यारा है अपना ध्वज. इसकी आन बचाएँगे,
वक़्त पडा तो इसकी खातिर, अपनी जान लुटाएँगे.
....bahut hi sundar,saarthak our desh bhakti se bhari hui kavita/geet.

शिवम् मिश्रा July 21, 2010 at 11:50 PM  

जय हिंद !

संगीता स्वरुप ( गीत ) July 22, 2010 at 2:42 AM  

ध्वज पर बहुत अच्छी रचना....सन्देश देती हुई...

Anonymous July 22, 2010 at 2:59 AM  

जय हिन्द

पढकर अच्छा लगा । जब भी इस तिरंगे पर कोई आँच आये पुरा मुल्क , इसकी रक्षा के लिये खङा होगा ।

रहेँ कही भी सपूत इस माँ के ,सब कि ये तो सान है ।
इस तिरँगे के खातिर हाजीर अपनी जान है ।
करे जो न इसकी रक्षा , वो तो देश का गद्दार है ।
होगी अग्नी परिक्षा "मुकेश" ,तभी तो पता चलेगा किसको-2 प्यार है

कडुवासच July 22, 2010 at 3:37 AM  

...बेहद प्रसंशनीय!!!

Anonymous July 22, 2010 at 6:44 AM  

@pankaj ji

आपके ब्लाँग को ईटिप्स ब्लाँग टीम के द्वारा ब्लाँग आँफ द मंथ के लिये चुना गया है एक बार यहाँ आएँ

http://etips-blog.blogspot.com/2010/07/blog-post_22.html

Anonymous July 22, 2010 at 6:44 AM  

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राज भाटिय़ा July 22, 2010 at 7:58 AM  

लोकतंत्र का अर्थ नहीं बस हम अपना गुणगान करे.
धर्म को अपना सबकुछ जानें, ध्वज का हम अपमान करें,
जिनने ऐसी गलती की वे, क्या मनुष्य कहलाएँगे....
वक़्त पडा तो इसकी खातिर, अपनी जान लुटाएँगे. ... बहुत ही सुंदर लगा जी यह गीत धन्यवाद

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') July 22, 2010 at 8:13 AM  

जयहिंद.

Udan Tashtari July 22, 2010 at 5:43 PM  

बेहतरीन रचना!!

जय हिन्द!!

वाणी गीत July 22, 2010 at 7:54 PM  

लाख आधुनिक हो जाये पर देश देश ही रहता है ...
काश की यह सोच देश के हर नागरिक की हो जाये ...!

संजय भास्‍कर July 24, 2010 at 5:46 AM  

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

सुनिए गिरीश पंकज को

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