''सद्भावना दर्पण'

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भक्ति-गीत / तुम्हारे प्यार में मीरा ने विष का पी लिया प्याला

>> Tuesday, August 31, 2010

कल जन्माष्टमी है. बंशीबजैया भगवान् कृष्ण का जन्मोत्सव. 
मेरे एक प्रख्यात गायक मित्र है. भारती बन्धु. कुछ महीने पहले वे मेरे घर आये और कहा कि 'आपको एक भक्ति-गीत लिखना है'. मैं भक्ति-गीत नहीं लिखता. भक्ति या पूजा-पाठ में मेरी कोई रूचि भी नहीं. मैंने उन्हें टालना चाहा लेकिन मित्र है. उनका आग्रह मानना ही पडा उन्होंने एक पंक्ति दी-''हम आयेंगे, हम आयेंगे कन्हैया मिलने आयेंगे''.  बस, इसी पंक्तिको विस्तार दे कर गीत लिखना है. उन्हें गीत किसी समारोह में प्रस्तुत करना था. गीत की धुन वे बता चुके थे. (''जो हमने दासतां अपनी सुनाई आप क्यों रोए'') मित्र-आग्रह के कारण मन को कृष्ण-भक्ति में डुबाना पडा. आखिरकार एक गीत तैयार हो गया. वही गीत आपके सामने भक्ति-भाव के साथ प्रस्तुत है. आशा है,आपका स्नेह इस गीत को भी मिलेगा...

हम आयेंगे, हम आयेंगे कन्हैया, मिलने आयेंगे,
चले आओगे तुम दौड़े तुम्हें इतना सतायेंगे..

ये अखियाँ है बड़ी प्यासी, इन्हें कुछ भी नहीं भाए,
जहाँ देखूँ वही तेरी मुझे सूरत नज़र आये.
अगर दर्शन न तेरे कर सके हम, मर ही जायेंगे.
चले आओगे तुम दौड़े तुम्हें इतना सतायेंगे..

तुम्हारा नाम ले कर ही हमारा वक्त कटता है,
तेरे दर्शन की खातिर बावरा-मन ये भटकता है.
कहाँ छिप कर के बैठा तू वहीं धूनी रमाएंगे.
चले आओगे तुम दौड़े तुम्हें इतना सतायेंगे..

तुम्हारे प्यार में मीरा ने विष का पी लिया प्याला,
तेरी धुन में मगन होकर के नाचे ब्रज की हर बाला.
तुम्हीं हो सबके मनमोहन तुम्हें कैसे भुलायेंगे.
चले आओगे तुम दौड़े तुम्हें इतना सतायेंगे..

तुम्हारे बिन यहाँ अपना कोई ना इक सहारा है,
पडी है जब मुसीबत दिल ने बस तुमको पुकारा है.
तुम्हारा प्यार पाने हम कहाँ किस दर पे जायेंगे.
चले आओगे तुम दौड़े तुम्हें इतना सतायेंगे.. 

अगर मर्जी तुम्हारी हो तो बेड़ा पार हो जाये. 
कृपा तेरी मिले तो पंगु पर्वत लाँघ कर आये. 
हमें भी दो सहारा गीत हम तेरे ही गायेंगे.
चले आओगे तुम दौड़े तुम्हें इतना सतायेंगे..


चलो अब हो चुका छिपना जरा तुम सामने आओ,
बजाओ बाँसुरी अपनी छवि सुन्दर दिखा जाओ.
तुम्हें देखे बिना कैसे अरे हम मुक्ति पाएंगे.
चले आओगे तुम दौड़े तुम्हें इतना सतायेंगे..

हम आयेंगे, हम आयेंगे कन्हैया, मिलने आयेंगे,
चले आओगे तुम दौड़े तुम्हें इतना सतायेंगे..

17 टिप्पणियाँ:

समयचक्र August 31, 2010 at 9:37 AM  

बहुत सुन्दर रचना सर ....आभार.
जय श्रीकृष्ण

Anonymous August 31, 2010 at 10:19 AM  

बोलो यादव शिरोमणी श्रीकृष्ण की
जय

अरे ! यो तो बङा ही अच्छा गीत लिखो है । जरुर वो मुरलीया वाला माखनचोर सबके दिल मे बसने वाला वो कन्हैया सबके मन को भानेवाला वो रासरचईया तुम्हारो मन की सारी लालसा पुरा करेगो ।

THANKS FOR POST
COMMENTS BY-POOJA AARYA TEAM MEMBER OF ETIPS BLOG TEAM from RORKEE.

ASHOK BAJAJ August 31, 2010 at 11:42 AM  

श्रीकृष्णजन्माष्टमी की बधाई .
जय श्री कृष्ण !!

Majaal August 31, 2010 at 9:04 PM  

बिना भक्ति के लिखना भी एक कला है.

संगीता स्वरुप ( गीत ) August 31, 2010 at 10:15 PM  

बहुत सुन्दर गीत ...

जन्माष्टमी की शुभकामनायें

कौशल तिवारी 'मयूख' August 31, 2010 at 11:50 PM  

श्रीकृष्णजन्माष्टमी की बधाई .
जय श्री कृष्ण

arvind September 1, 2010 at 12:09 AM  

बहुत सुन्दर .....श्रीकृष्णजन्माष्टमी की बधाई

वाणी गीत September 1, 2010 at 1:25 AM  

सुन्दर गीत ...
जन्माष्टमी पर्व की बहुत शुभकामनायें ..!

girish pankaj September 1, 2010 at 5:08 AM  

सबको श्रीकृष्णजन्माष्टमी की बधाई...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') September 1, 2010 at 9:42 AM  

जय श्री कृष्ण भईया.
जन्माष्टमी की बधाई.

ब्लॉ.ललित शर्मा September 1, 2010 at 6:07 PM  


उम्दा पोस्ट-बेहतरीन लेखन के बधाई

आपकी पोस्ट चर्चा ब्लाग4वार्ता पर-पधारें

Udan Tashtari September 1, 2010 at 6:53 PM  

माँ शारदे के आशीष के बिना ऐसी रचना हो ही नहीं सकती. अद्भुत!!

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये

रानीविशाल September 1, 2010 at 11:13 PM  

इस सुन्दर अवसर पर इतना सुन्दर गीत प्रस्तुत करने हेतु धन्यवाद !
आपको सपरिवार श्री कृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामना ..!!
बड़ा नटखट है रे .........रानीविशाल
जय श्री कृष्णा

Dr Varsha Singh September 2, 2010 at 3:29 AM  

जन्माष्टमी की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं। आपका यह गीत बहुत अच्छा है।

Dr (Miss) Sharad Singh September 2, 2010 at 3:38 AM  

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

Yogesh Verma Swapn September 3, 2010 at 7:05 AM  

pankaj ji aapke bhakti geet ne man moh liya , aise hi aur anupam geeton ki aapse apeksha hai. sadhuwaad.

विनोद कुमार पांडेय September 5, 2010 at 8:03 AM  

भगवान श्रीकृष्ण जी के भक्ति का गुणगान समेटे एक लाज़वाब रचना..सुंदर गीत प्रस्तुति के लिए आभार..
प्रणाम चाचा जी

सुनिए गिरीश पंकज को

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