ग़ज़ल/ जख्म दिया करते हैं फिर थोड़ा मुसकाते हैं
>> Wednesday, September 8, 2010
पाँच दिन बाद फिर हाज़िर हूँ. यानी फिर वही दिल लाया हूँ. पेश है बिल्कुल नई ग़ज़ल.देखे शायद इन शेरों में सच्चे लोगों का दर्द उभरा हो शायद. भले लोगों को दुर्जन हमेशा तकलीफ ही देते है. लेकिन अनुभव यही बताता है कि दुर्जन नष्ट हो जाते हैऔर सज्जन महकते रहते है. अपने सद्गुणों के कारण बने रहते हैं. देखे कुछ शेर---
पहले जख्म दिया करते हैं फिर थोड़ा मुसकाते हैं
ऐसे ही कुछ लोग यहाँ केवल शैतान कहाते हैं.
अपने दुर्गुण देख न पाए कोस रहे हैं दुनिया को
ऐसे ही नकारे इक दिन मिट्टी में मिल जाते हैं.
तन से वह तो सुन्दर है पर मन से कितना काला है
तन-मन जिनका सुन्दर-निर्मल वे इंसां कहलाते हैं.
जो केवल निंदा करता है वह इक दिन मर जाता है
छुद्र नहीं, केवल सर्जक इक दिन इतिहास बनाते हैं.
पहले हम काबिल बन जाएँ फिर सबको पथ दिखलाएँ
कैसी है वो बस्ती जिसमें अंधे राह दिखाते हैं
मैंने सच्ची बात कही है शायद कुछ कड़वी होगी
सेहत भली रहे इस खातिर कड़वी दवा पिलाते हैं
शब्दों के हम आराधक हैं अपनी राह बनाते हैं
खून सुखाया जाग-जाग कर फिर परसाद चढ़ाते हैं.
निंदा ही जिनका जीवन है उनको माफ़ करो पंकज
जो हैं दिल से बड़े वही दुनिया को प्यार लुटाते हैं.
19 टिप्पणियाँ:
औरों का शैतान, तो पता नहीं कहाँ है,
अनुभव तो हमें ही दर्पण दिखाते है !
सुलेखन ...
बहुत बढिया गजल कही है भैया
एकदम सम सामयिक है,वर्तमान पर निशाना लगाया।
इसीलिए कहा भी गया है,
"दु्र्जनं प्रथम वन्दे सज्जनम् तदनंतरम्।"
मैंने सच्ची बात कही है शायद कुछ कड़वी होगी
सेहत भली रहे इस खातिर कड़वी दवा पिलाते हैं
सही बात कहती सुन्दर गज़ल
जो केवल निंदा करता है वह इक दिन मर जाता है
छुद्र नहीं, केवल सर्जक इक दिन इतिहास बनाते हैं.
बहुत बढ़िया शेर सर .... आभार
"मैंने सच्ची बात कही है शायद कुछ कड़वी होगी
सेहत भली रहे इस खातिर कड़वी दवा पिलाते हैं "
कितना सुन्दर ग़ज़ल कहा है भईया. बधाई और प्रणाम.
वाह पंकज जी बहुत सुंदर गजल ओर सभी शेर धन्यवाद
अपने दुर्गुण देख न पाए कोस रहे हैं दुनिया को
ऐसे ही नकारे इक दिन मिट्टी में मिल जाते हैं
बेहतरीन..
आज सच्चाई यही है लोग अपने अंदर झाँकते नही और दूसरों को शिक्षा देते है..बहुत सही कटाक्ष..हर लाइन एक सीख देते हुए आयेज बढ़ती है बहुत ही सुंदर एवं सामाजिक रचना...चाचा प्रणाम
"मैंने सच्ची बात कही है शायद कुछ कड़वी होगी
सेहत भली रहे इस खातिर कड़वी दवा पिलाते हैं "
गज़ब!
निंदा ही जिनका जीवन है उनको माफ़ करो पंकज
जो हैं दिल से बड़े वही दुनिया को प्यार लुटाते हैं.
.....bahut sundar gajal..prasansaniy...aabhaar.
... behatreen gajal !!!
आप की रचना 10 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
बेहतरीन ग़ज़ल ......बहुत बहुत बधाई !!
एक से बढ़कर एक शेर, मजा आ गया।
पंकज जी नमस्कार! बहुत ही प्रभावशाली गजल कही हैँ आपने। आभार! -: VISIT MY BLOG :- जब तन्हा हो किसी सफर मेँ............. गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते हैँ।
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निंदा ही जिनका जीवन है उनको माफ़ करो पंकज
जो हैं दिल से बड़े वही दुनिया को प्यार लुटाते हैं.
Pankaj ji,
बहुत खरी-खरी लिख दी। बेहद पसंद आयी।
आभार
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मैंने सच्ची बात कही है शायद कुछ कड़वी होगी
सेहत भली रहे इस खातिर कड़वी दवा पिलाते हैं
!!!!!!
कबीर बनने की दिशा में अग्रिम बधाई !!!
शब्दों के हम आराधक हैं अपनी राह बनाते हैं
खून सुखाया जाग-जाग कर फिर परसाद चढ़ाते हैं.
.. मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए कोटिशः आभार एवं
1 हरितालिका तीज ,
2.नवाखाई .........
3.इदुल फितर......
4 गणेश चतुर्थी ..
......
इन सभी पावनपर्वो की ....
आपको ढेर सारी बधाई ..
एवं शुभकामनाए ......
आपके ब्लॉग को आज चर्चामंच पर संकलित किया है.. एक बार देखिएगा जरूर..
सत्य कहा....
बहुत बहुत सुन्दर रचना.....
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