नई ग़ज़ल/ प्यार बड़ा बेमज़ा लग रहा
>> Sunday, September 26, 2010
जीवन की कुछ और सच्चाईयों से रूबरू करने की कोशिश में पेश है कुछ और नए शेर.....
कहते हो तुम आते क्यों नहीं
दिल से हमें बुलाते क्यों नहीं
सबको टिप्स दिया करते हो
खुद को भी समझाते क्यों नहीं
अगर सही में खुश हो मुझसे
देख इधर मुसकाते क्यों नहीं
दिल में इक बच्चा रहता है
उसको तुम बहलाते क्यों नहीं
कौन तुम्हारे घर आएगा
अरे कहीं तुम जाते क्यों नहीं
मत कोसो तुम अन्धकार को
दीपक एक जलाते क्यों क्यों नहीं
बातें बड़ी-बड़ी करते हो
उसे अमल में लाते क्यों नहीं
प्यार बड़ा बेमज़ा लग रहा
मुझको तनिक सताते क्यों नहीं
भीतर-भीतर क्यों घुलते हो
दिल की बात बताते क्यों नहीं
हो जाएगा वह भी तेरा
पहले हाथ बढ़ाते क्यों नहीं
देखो मौसम खुशगवार है
पंकज अब तुम गाते क्यों नहीं
12 टिप्पणियाँ:
क्यों बुरा मानेंगे हम ?
हक तुम जताते क्यों नहीं ...
बहुत उम्दा ! लिखते रहिये,...
कहते हो तुम आते क्यों नहीं
दिल से हमें बुलाते क्यों नहीं
सबको टिप्स दिया करते हो
खुद को भी समझाते क्यों नहीं
वाह सर गजब के भाव .... सुन्दर रचना ...आभार
प्यार बड़ा बेमजा लग रहा है
तुम्हारा आना कज़ा लग रहा है
जब से पुछा एटीएम है क्या?
तब से प्यार सजा लग रहा है।
हा हा हा,
बस युं ही कह दिया भैया
उम्दा गजल के लिए आभार
अगर सही में खुश हो मुझसे
देख इधर मुसकाते क्यों नहीं !!!
बड़ी सुंदर ग़जल निकल पड़ी है ,सीधे साधे मनोभावों के लिबास में !पीछे पीछे चेरी की तरह चल रही है भाषा ! क्या कहने ! आभार
वाह गिरीज जी जबाब नही आप की सुंदर गजल का, बहुत सुंदर
अच्छा लगा । सुंदर - मनोहारी गजल । बधाई । कुछ और लाईनें बरबस ही याद आई । … दिवाना होता है , मस्ताना होता है । हर खुशी - हर गम से बेगाना होता है ।
सभी शेर बहुत अच्छे लगे।
कौन तुम्हारे घर आएगा
अरे कहीं तुम जाते क्यों नहीं
हो जाएगा वह भी तेरा
पहले हाथ बढ़ाते क्यों नही
वाह ! बहुत अच्छी लगी आपकी गज़ल बधाई।
गज़ल लिखना है मुश्किल बहुत्
आप हमे सिखलाते क्यों नहीं
भईया प्रणाम. बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई.
शानदार ग़ज़ल । सीधे सादे शब्दों में बहुत गहरी बातें ...वाह...बहुत खूब।
सुन्दर रचना ...आभार
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
सही है पंकज अब कैसे गाये ..
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