नई ग़ज़ल/बिन खिलौने के फिर से जो घर जाएगा...
>> Wednesday, September 29, 2010
आज ही ये ग़ज़ल कही. मन हुआ कि आज ही आपके सामने प्रस्तुत कर दूं. और परिमार्जन होता रहेगा बाद मे. शेरो की खासियत ही यही होती है कि उसके बारे में बताना नहीं पड़ता कि, कवि-शायर कहना क्या चाहता है. फिर जिस तरह के समझदार पाठक मुझे मिले है, उनको कुछ कहना ही गलत है. इस मामले मे मैं सौभाग्यशाली हूँ. इसलिए बिना कुछ और ज्यादा कहे, पेश है बिल्कुल ताज़ा ग़ज़ल.....
तेरे आने से घर ये निखर जाएगा
मेरा बिगड़ा मुकद्दर संवर जाएगा
हमने महफ़िल सजाई है तेरे लिये
तू न आया तो दिल को अखर जाएगा
प्यार का पाठ मैंने लिखा है मगर
तुम अगर देख लो रस से भर जाएगा
मिलते-जुलते रहो मुसकराते रहो
गर मुसीबत भी आई उबर जाएगा
आदमी है वही हौसला जो रखे
उसको तूफ़ा भी देखे तो डर जाएगा
खुद को क़ाबिल बनाने की कोशिश करो
किनसे माँगेगा तू, किसके दर जाएगा
रूप-दौलत पे ऐसे न इतराइए
ये बगीचा कभी भी... बिखर जाएगा
कैसी बेकार किस्मत है उस बाप की
बिन खिलौने के फिर से वो घर जाएगा
दिल से सबके लिये जो दुआएँ करे
एक दिन वो ख़ुदाई से भर जाएगा
नकली यारों के कारण ज़हर ज़िन्दगी
दूर कर दो उन्हें तब ज़हर जाएगा
कौन कहता है सच्चाई हारी कभी
झूठ का हौले-हौले असर जाएगा
सबको तू आइना तो दिखाया करे
खुद ज़रा देख चेहरा उतर जाएगा
सच के रस्ते पे चलना खतरनाक है
देख लेना ये 'पंकज' उधर जाएगा
22 टिप्पणियाँ:
यूँ तो कर लेगा कोई भी तुकबंदी,
कैसे पर 'पंकज' सा वो असर लाएगा !
बढ़िया पेशकश, लिखते रहिये ....
girish bhaayi kyaa khub andaaze byaan hen bs alfaazon ko khubsurt maala men piro kr rkh diyaa akhtar khan akela kota rajsthan
सच के रस्ते पे चलना खतरनाक है
देख लेना ये 'पंकज' उधर जाएगा
पंकज जी बहुत सुंदर् गजल जी, धन्यवाद
बेहद उम्दा पंकज भाई .....गजब की ग़ज़ल लिखी है आज !
मैं आपकी तारीफ़ क्या करूँ ....बस सिर्फ यही कि.....मैं कई बार इस ग़ज़ल को पढ़ गयी पर समझ में नहीं आया इनमे बेहतर कौन है !!
सही मे इस गज़ल मे ताज़गी दिखाई दे रही है ।
कैसी बेकार किस्मत है उस बाप की
बिन खिलौने के फिर से वो घर जाएगा
बहुत ही गजब का शेर बन पड़ा है भैया।
इस एक शेर पर हजारों गजल कुर्बान हैं।
आभार
Behtareen Gazal haii..
Badhaaiiyaa...
कौन कहता है सच्चाई हारी कभी
झूठ का हौले-हौले असर जाएगा
सबको तू आइना तो दिखाया करे
खुद ज़रा देख चेहरा उतर जाएगा
...bahut khoobsurat gazal...aabhaar
"आप सदा ही कमाल रचते हैं
लफ्जों को बनाकर मिसाल रचते हैं. "
प्रणाम.
नई पोस्ट डाली है भईया. वक़्त मिले तो आशीर्वाद दीजियेगा. "शाम यहाँ न घबराती आये...:"
सच के रस्ते पे चलना खतरनाक है
देख लेना ये 'पंकज' उधर जाएगा
जाके हिरदय सांच है ताके हिरदय आप ! यही आपके गजल की ताकत है और यही सौन्दर्य !बहुत बहुत बधाई !!!
आज पंकज ने लिक्खी है ताजा गजल,
पढ लिया, कुछ कहे बिन किधर जाएगा.
मियां सुभाष इसीलिये तो पंकज पंकज है,
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
बढ़िया गज़ल ..बहुत खूब .
आदमी है वही हौसला जो रखे,
उसको तूफां भी देखे तो डर जाएगा
बार-बार पठनीय ग़ज़ल...बहुत सुंदर।
किनसे मांगेगा तू किसके दर जायेगा। बेहतरीन शे'र की बेहतरीन पंक्ति। इस ग़ज़ल में आपने जान बूझकर दो जगह नियम को तोड़ा है ऐसा मुझे प्रतीत होता है। " उजड़" और "ज़हर" को क़ाफ़िया बनाकर,हिन्दीदां को ये स्वीकार है पर उर्दूदां पता नहीं आजकल इसे स्वीकारते हैं या नहीं।
बहुत खूब । उम्दा-बेहतरीन गजल । आखर-आखर सच्चा ,जैसे कोई निश्छल बच्चा । हौसला बढ़ता है। अशेष बधाइयाँ -शुभकामनाएं। -आशुतोष
कौन कहता है सच्चाई हारी कभी
झूठ का हौले-हौले असर जाएगा
कोई जवाब नही इस बेहतरीन ग़ज़ल का..पढ़ कर मन खुश हो गया ..प्रणाम चाचा जी
... डुबकी लगा कर जा रहे हैं ... आभार !!!
खतरों के खिलाड़ी और खतरों की दिशासूचक गजल.
नमस्कार ,आपकी बेहतरीन रचना को सलाम
कभी मेरे ब्लाँग enternetdunia.blogspot.com पर भी आऐँ ।
Doing so will simply no rhyming..If so its very nice..
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