''सद्भावना दर्पण'

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छत्तीसगढ़ अब गो-क्रांति की दिशा में

>> Tuesday, December 28, 2010

नईदुनिया, रायपुर (२९-१२-२०१०) में प्रकाशित लेख...

4 टिप्पणियाँ:

Rahul Singh December 28, 2010 at 9:21 PM  

गौ-वंश की उपयोगिता को इस रूप में प्रचारित-प्रसारित करना, बनाए रखना जरूरी है, वरना बूचड़खानों की मांग के दबाव से यह नियंत्रित होने की आशंका बनी रहेगी.

विनोद कुमार पांडेय December 29, 2010 at 1:05 AM  

चाचा जी, प्रणाम

आज के दौर में लोग इस मुद्दे पर बात करना ही भूल गये है..पाश्चात्य की अंधी रेस में लोग अपनी गौ माता को भूलते ही जा रहे है...बहुत बढ़िया जानकारी भरी पोस्ट प्रस्तुत किया आपने...सार्थका आलेख के लिए बहुत बहुत बधाई..निश्चित रूप से राज्य ही नही बल्कि देश के लोगों में जागरूकता आएगी...प्रणाम

विनोद कुमार पांडेय December 29, 2010 at 1:06 AM  

नये वर्ष की हार्दिक शुभकामना

गौरव शर्मा "भारतीय" December 29, 2010 at 6:08 AM  

प्रणाम,
अच्छी जानकारी मिली इस पोस्ट को पढ़कर, वाकई गौ संरक्छ्न की दिशा में कामधेनु विश्वविध्यालय मिल का पत्थर साबित होगा..

सुनिए गिरीश पंकज को

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