वो अंधियारे में बैठा है जो सचमुच में ज्ञानी है
>> Sunday, March 6, 2011
कभी-कभी लगता है मन में जीने का क्या मानी है
वही सफल दिखता है जिसका जीवन ही बे-पानी है
हम जीवन भर संघर्षों के पथ पर चलते रहते हैं
और वहीं शातिर लोगों का जीवन सफल कहानी है
मूरख के सर ताज दीखते जय-जयकार करें चमचे
वो अंधियारे में बैठा है जो सचमुच में ज्ञानी है
होगी उसके पास में दौलत, ज्ञान और सुविधाएँ भी
लेकिन वह इंसान नहीं है जो निर्मम-अभिमानी है
खतरों की परवाह नहीं है वैसे भी इस जीवन में
मेरा घर है उस रस्ते पर जो रस्ता तूफानी है
जिनके दिल में दया नहीं है जो पत्थर की संतानें
उनसे करुणा की कुछ आशा करना ही बेमानी है
जाने कब वे मर जाएँगे है इत्ती-सी बात मगर
केवल नादां समझ न पाते बहुत बड़ी हैरानी है
बात अगर झकझोर सके ना लिखना भी क्या लिखना है
कविता तो वह पंकज सच्ची जैसे बहता पानी है
18 टिप्पणियाँ:
मूरख के सर ताज दीखते जय-जयकार करें चमचे
वो अंधियारे में बैठा है जो सचमुच का ज्ञानी है
मन की व्यथा शब्दों में उतर आई है ..अच्छी गज़ल
बात अगर झकझोर सके ना लिखना भी क्या लिखना है
अच्छी रचना है -
झकझोर गयी -
बहुत कड़े शब्दों में उतारी है व्यथा .
होगी उसके पास में दौलत, ज्ञान और सुविधाएँ भी
लेकिन वह इंसान नहीं है जो निर्मम-अभिमानी है
खतरों की परवाह नहीं है वैसे भी इस जीवन में
मेरा घर है उस रस्ते पर जो रस्ता तूफानी है
सारगर्भित शब्दों का चयन , अच्छा काव्य, बधाई भी ,शुभकामनाएं भी
vyatha ko bahut saargarbhit shabd diye hain
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 08-03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
उम्दा रचना...
बहुत सुंदर रचना| धन्यवाद|
म जीवन भर संघर्षों के पथ पर चलते रहते हैं
और वहीं शातिर लोगों का जीवन सफल कहानी है
होगी उसके पास में दौलत, ज्ञान और सुविधाएँ भी
लेकिन वह इंसान नहीं है जो निर्मम-अभिमानी है
जाने कब वे मर जाएँगे है इत्ती-सी बात मगर
केवल नादां समझ न पाते बहुत बड़ी हैरानी है
हमेशा की तरह शानदार गज़ल हर शेर गज़ब कर रहा है।
जाने कब वे मर जाएँगे है इत्ती-सी बात मगर
केवल नादां समझ न पाते बहुत बड़ी हैरानी है...
बहुत सारगर्भित और शानदार रचना.. अंतिम चार पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं....
कभी-कभी लगता है मन में जीने का क्या मानी है
वही सफल दिखता है जिसका जीवन ही बे-पानी है
हम जीवन भर संघर्षों के पथ पर चलते रहते हैं
और वहीं शातिर लोगों का जीवन सफल कहानी है
आज की व्यवस्था पर बहुत सटीक टिप्पणी...सभी शेर लाज़वाब..
आदरणीय गिरीश जी सादर नमन
एक एक शब्द में अनुभव दिख रहा है
hamesha ki tarah behtareen abhivyakti.
सम्मानिय गिरीश जी
प्रणाम !
बेहद सुंदर , हर शेर अच्छा है . आनद आया पढ़ !
साधुवाद
सादर
हम जीवन भर संघर्षों के पथ पर चलते रहते हैं
और वहीं शातिर लोगों का जीवन सफल कहानी है
बेहतरीन पंक्ति...बेहतरीन भावाभिव्यक्ति !!
सादर आभार !!
हम जीवन भर संघर्षों के पथ पर चलते रहते हैं
और वहीं शातिर लोगों का जीवन सफल कहानी है
बेहतरीन पंक्ति...बेहतरीन भावाभिव्यक्ति !!
सादर आभार !!
जिनके दिल में दया नहीं है जो पत्थर की संतानें
उनसे करुणा की कुछ आशा करना ही बेमानी है
पत्थर की संतानें...वाह,
यह प्रतीक एकदम मौलिक है। इस बिम्ब ने शेर को गहरा अर्थ दिया है।
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल।
शानदार रचना भैया...
सादर प्रणाम.
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