होली-ग़ज़ल / दिल हो लेकिन 'यंग' तो समझो होली है
>> Thursday, March 17, 2011
२-३ दिन बाद होली है. होली उमंगों का, मस्ती का, प्यार का त्यौहार है. पूरा देश धीरे-धीरे 'मूड' में आ रहा है-उत्सव के. लेकिन लेखक का भी मूड तो बने. लेकिन यह हर बार संभव नहीं होता. इस बार बहुत बेहतर कुछ सूझ नहीं रहा है.फिर भी होली खाली न जाये, इसलिए रचना को प्यारभरा गुलाल समझ कर लगा ले. सबकी होली शुभ हो, मंगलमय हो, इन्ही शुभकामनाओ के साथ.
मन में रहे उमंग तो समझो होली है
जीवन में हो रंग तो समझो होली है
जीवन में हो रंग तो समझो होली है
तन्हाई का दर्द बड़ा ही जालिम है
प्रिय मेरा हो संग तो समझो होली है
स्वारथ की हर मैल चलो हम धो डालें
छिड़े अगर यह जंग तो समझो होली है
मीठा हो, ठंडाई भी हो साथ मगर
थोड़ी-सी हो भंग तो समझो होली है
निकले हैं बाहर लेकिन क्यों सूखे हैं
इन्द्रधनुष हो अंग तो समझो होली है
दिल न किसी का कोई यहाँ दुखाए बस
हो सुंदर ये ढंग तो समझो होली है
तन में रंग और भंग हो ज़ेहन में
पूरा घर हो तंग तो समझो होली है
दुश्मन को भी गले लगाना सीख ज़रा
जागे यही उमंग तो समझो होली है
रूखी-सूखी खा कर के भी मस्त रहो
बाजे मन का चंग तो समझो होली है
इक दिन सबको बुढऊ होना है पंकज
दिल हो लेकिन 'यंग' तो समझो होली है
दिल हो लेकिन 'यंग' तो समझो होली है
14 टिप्पणियाँ:
होली पर धमाके दार गज़ल ...बहुत सुन्दर ..
होली की शुभकामनायें
इक दिन सबको बुढऊ होना है पंकज
दिल हो लेकिन 'यंग' तो समझो होली है
vaah behtarin pankti....holi ki ashesh shubhkamnayen...!!
आपके ग़ज़ल से माहौल एकदम होलिया गया है भैया...
रंग जमा दिया है आपने...
माफ़ी सहित आपके अंदाज में एक शेर यह भी....
"धमाचौकड़ी खूब मचाओ खाओ भंग
उड़ता लगे पलंग तो समझो होली है"
होली की अग्रिम शुभकामनाये.... सादर प्रणाम.
रूखी-सूखी खा कर के भी मस्त रहो
बाजे मन का चंग तो समझो होली है
बहुत सुंदर रचना जी,धन्यवाद
वाह होली की मस्ती में रंगी गज़ल ..बहुत सुन्दर .
इक दिन सबको बुढऊ होना है पंकज
दिल हो लेकिन 'यंग' तो समझो होली है..
क्या बात है...बहुत खूब.
आदरणीय गिरीश पंकज जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
क्या ख़ूब ग़ज़ल लिखी है भाईजी ! मजा आ गया …
मन में रहे उमंग तो समझो होली है
जीवन में हो रंग तो समझो होली है
वाह वाह !
शुरू से आख़िर तक मस्त और रोचक ! :)
इक दिन सबको बुढऊ होना है पंकज
दिल हो लेकिन 'यंग' तो समझो होली है
हार्दिक बधाई !
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
♥होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सही...
होली के रंगों में डूबी हुई एक बहुत ही ज़बरदस्त रचना... बेहतरीन!!!
होली के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं!
होली की ढेरों शुभकामनाएं.
नीरज
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..होली की हार्दिक शुभकामनायें!
गिरीश जी,
होली पर लिखी गजल बहुत लाजवाब है.
भजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
मन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥
होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!
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