जब-जब सच कहना चाहा है अपनी जान पे बन आई है
>> Thursday, April 21, 2011
सच के हिस्से तन्हाई है
वक़्त बड़ा ये हरजाई है
मित्र समझ कर बात कही थी
अब दोनों में रुसवाई है
जब-जब सच कहना चाहा है
अपनी जान पे बन आई है
दौलत ने दो फाड़ कर दिया
कौन यहाँ किसका भाई है
किसने सच का साथ दिया है
झूठों की तो बन आई है.
सुख को पकड़ रहा था मैं भी
पता चला वह परछाई है
हम न झुकेंगे रहेंगे भूखे
मरने की फितरत पाई है पंकज रहना सुखी अकेले
बस्ती में हाथापाई है
21 टिप्पणियाँ:
@किसने सच का साथ दिया है
झूठों की तो बन आई है.
सांच कहूँ तो मारन धावा
झूठ कहूँ तो जग पतियावा।
सच के हिस्से तन्हाई है
वक़्त बड़ा ये हरजाई है
बहुत सुन्दर रचना भाव प्रस्तुति....आभार
दौलत ने दो फाड़ कर दिया
कौन यहाँ किसका भाई है
वाह बेहतरीन पंक्ति...बधाई
मित्र समझ कर बात कही थी
अब दोनों में रुसवाई है
बहुत अच्छी गज़ल ..
दौलत ने दो फाड़ कर दिया
कौन यहाँ किसका भाई है
सत्य वचन जी
वाह गिरीश भाई..क्या खूब कहा...
सच के हिस्से तन्हाई है ...
मित्र समझकर बात कही थी ,
अब दोनों में रुसवाई है ...
जैसे जख्मों को शब्द मिल गए हों ...
बेहतरीन !
सुन्दर प्रस्तुति....आभार
शानदार लिखा है आपने. बधाई स्वीकार करें
मेरे ब्लॉग पर आयें और अपनी कीमती राय देकर उत्साह बढ़ाएं
समझ सको तो समझो : अल्लाह वालो, राम वालो
बहुत सही और सुन्दर अभिव्यक्ति !!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल भईया... सादर...
मित्र समझ कर बात कही थी
अब दोनों में रुसवाई है
जब-जब सच कहना चाहा है
अपनी जान पे बन आई है
सुख को पकड़ रहा था मैं भी
पता चला
वह परछाई है
शानदार गज़ल्।
किसने सच का साथ दिया है
झूठों की तो बन आई है.
उम्दा शेर...
उम्दा ग़ज़ल....
बेहतरीन प्रस्तुति। शानदार गजल। आभार।
छोटी बहर की बहुत उम्दा गजल!
इसे गुनगुनाने मे आनन्द आ गया!
आज के ज़माने में सच कहना और फिर उस पर टिके रहना बहुत मुश्किल है ।बहुत प्रभावशाली ग़ज़ल है भाई पंकज जी ।
आज के समय का यही सच है ....आभार !
किसने सच का साथ दिया है
झूठों की तो बन आई है.
सुख को पकड़ रहा था मैं भी
पता चला वह परछाई है
बहुत ही खूबसूरत शेर...वाह...
Pankaj ji aapne sach se roo-b-roo krwaya hai apni is prstuti se....Thanxxxxxxxxxx
आपकी रचना पर अपने आपको तारीफ के लायक नहीं मानता हूँ ! बस इतना ही कहूँगा कि आपकी सरलता मन पर अमित प्रभाव डालने में सक्षम है !
सादर आभार आपका गिरीश भाई !
सहजता और सरलता से समग्रता को रेखांकित कर देना तो कोई आपसे ही सीखे भईया... अद्भुत अभिव्यक्ति है.... सादर प्रणाम...
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