गीत / औरत ने औरत को मारा, इसे भूल ना पाऊँगी..
>> Friday, April 29, 2011
अरे...? दस दिन बीत गए, कोई रचना पोस्ट नहीं कर पाया. कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं,कि चाहते हुए भी ब्लॉग-'लेखन' या ''देखन'' भी नहीं हो पाता. खैर, आज मौका मिला है. इन दिनों कन्या-भ्रूण-ह्त्या पर कुछ-न-कुछ देख-सुन और पढ़ रहा हूँ. लगा, एक गीत बन रहा है. और... बन ही गया. पेश है आपकी सेवा में. अभी इसमें कुछ और काम करना है. फिलहाल मन की बातें लिपिबद्ध हो जाएँ, इसलिए लिख रहा हूँ. इसे बाद में और निखारना है. आपके सुझाव आमंत्रित है. बातें की और क्या-क्या मुद्दे हो सकते हैं...फिलहाल गीत देखें और अपनी शुभकामनाएँ दें ..
मैं जन्म नहीं ले पाई लेकिन,
कल दोबारा आऊँगी.
कितना कुछ मै कर सकती थी,
तुमको मै बतलाऊंगी...
अगर जन्म हो जाता मेरा,
दुनिया को महकाती मैं,
रानी बिटिया बन कर इक दिन,
सबकी शान बढ़ाती मैं.
अब हूँ मैं इक ''मुक्कड़'' में- (मुक्कड़-कचरापेटी)
कैसे इतिहास बनाऊँगी.
मैं जन्म नहीं ले पाई लेकिन,
कल दोबारा आऊँगी.....
आ जाती गर दुनिया में तो,
लक्ष्मीबाई-सी बनती.
वीरप्रसूता इस धरती में,
मैं भी वीरों को जनती.
औरत ने औरत को मारा,
इसे भूल ना पाऊँगी..
मैं जन्म नहीं ले पाई लेकिन,
कल दोबारा आऊँगी....
लड़का-लड़की एक बराबर,
जिसने यह स्वीकारा है,
उसको बारम्बार नमन है,
वही चमकता तारा है.
माँ ही मेरी दुश्मन क्यों थी,
प्रभु को क्या समझाऊँगी..
मैं जन्म नहीं ले पाई लेकिन,
कल दोबारा आऊँगी.....
बहुत हो गया पाप धरा पर,
बंद करो यह अत्याचार.
जैसे कटती गऊ माताएं,
वैसे मैं कटती लाचार.
बोझ न समझो मुझे, वक़्त पर-
तेरी शान बढ़ाऊंगी.
मैं जन्म नहीं ले पाई लेकिन,
कल दोबारा आऊँगी.
कितना कुछ मै कर सकती थी,
तुमको मै बतलाऊंगी...
5 टिप्पणियाँ:
मैं जन्म नहीं ले पाई लेकिन,
कल दोबारा आऊँगी.
कितना कुछ मै कर सकती थी,
तुमको मै बतलाऊंगी...
कन्या-भ्रूण-ह्त्या पर बेहद उत्कृष्ट रचना है यह.
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ...
मर्मस्पर्शी सुंदर रचना .|
लेकिन समझाने का कोई ख़ास फायदा होनेवाला नहीं है |इस अत्याचार को रोकना इतना आसन भी नहीं है |
सुंदर सोच और रचना के लिए बधाई
अति संवेदनशील रचना.
मर्मस्पर्शी रचना
हृदयस्पर्शी बहुत सुन्दर पोस्ट भईया... सादर...
Post a Comment