नई ग़ज़ल / हमको हर सपना भरमाया करता है
>> Thursday, May 5, 2011
हमको वह विश्वास जिताया करता है
अक्सर जो भीतर से आया करता है
पत्थर की मूरत तो पत्थर है बिलकुल
ईश्वर का अहसास बचाया करता है
मैंने दोनों से यारी अब कर ली है
दुःख आता है, सुख भी आया करता है
जख्म मिले हैं अपनों से मिलते ही हैं
वक़्त हमारे घाव मिटाया करता है
अहसानों से दबा हुआ है बेचारा
उफ़ वो कितने बोझ उठाया करता है
उन पर ज्यादा यकीं नहीं करना अच्छा
हमको हर सपना भरमाया करता है
वह मेरा दुश्मन है लेकिन प्यारा है
मेरे ही गीतों का गाया करता है
इक दिन इस दुनिया में प्यार ही जीतेगा
रोज़ मुझे यह स्वप्न लुभाया करता है
पंकज इक राजा है अपनी दुनिया का
सदभावों को रोज लुटाया करता है
16 टिप्पणियाँ:
इक दिन इस दुनिया में प्यार ही जीतेगा
रोज़ मुझे यह स्वप्न लुभाया करता है
शानदार गजल। आभार।
मैंने दोनों से यारी अब कर ली है
दुःख आता है, सुख भी आया करता है
बहुत खूब,गिरीश भाई
बहुत सुंदर रचना गरीश जी, आशा हे आज आप का ब्लाग जरुर ब्लाग परिवार पर होगा.
जख्म मिले हैं अपनों से मिलते ही हैं
वक़्त हमारे घाव मिटाया करता है
सरल शब्द और गंभीर भाव,वाह ! क्या बात है.पहली ही बार आपके ब्लॉग में प्रवेश किया है.ऐसा लगा कि
जख्म वहाँ पर जाने से कतराते हैं
वह जख्मों को गीत बनाया करता है.
अब बेगानों की बस्ती में रहता है
उसका अपना केवल उसका साया है.
जख्म मिले हैं अपनों से मिलते ही हैं
वक़्त हमारे घाव मिटाया करता है
वक्त सच ही मरहम का काम करता है ...बहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर!
जख्म मिले हैं अपनों से मिलते ही हैं
वक़्त हमारे घाव मिटाया करता है
EXCELLENT...
वाह!! हम तो संग में गाने लगे पढ़ते पढ़्ते.
Bahut hee achchee gazal hai Pankaj ji.
पत्थर की मूरत तो पत्थर है बिलकुल
ईश्वर का अहसास बचाया करता है
क्या आनंद दिया है आज आपने भाई जी ! इतनी सरलता से आपने अपनी बात रच दी कि भरोसा सा नहीं होता !
badhiya prastuti
हमको वह विश्वास जिताया करता है
अक्सर जो भीतर से आया करता है
पत्थर की मूरत तो पत्थर है बिलकुल
ईश्वर का अहसास बचाया करता है
आपकी हर गज़ल इतनी शानदार होती है कि डूब जाते है उसमे……………एक से बढकर एक शेर गढे हैं।
Man ko chhu jane wale sher.
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ब्लॉग समीक्षा की 13वीं कड़ी।
भारत का गौरवशाली अंतरिक्ष कार्यक्रम!
बेहद मर्मस्पर्शी और सच्ची सीख देने वाली पंक्तियाँ . ग्रहणीय संग्रहणीय स्मरणीय.... और विचारणीय भी ...
पंकज इक राजा है अपनी दुनिया का
सदभावों को रोज लुटाया करता है
पंकज इक राजा है अपनी दुनिया का
सदभावों को रोज लुटाया करता है
इस शेर में यथार्थ कुछ ज्यादा ही छलक रहा है, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने।
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