नई ग़ज़ल / अपनी हिम्मत से मौसम बदल जाएगा
>> Tuesday, May 31, 2011
बहुत दिनों के बाद आना हुआ. हो सकता है कि कुछ लोगों के लिए यह सुकून देने वाला भी हो कि बोर करने वाली रचनाओं से तो बच गए. लेकिन हम भी कम नहीं, लीजिये, फिर आ गए हैं, एक नई ग़ज़ल के साथ...
वक़्त जैसा भी है यह संभल जाएगा
अपनी हिम्मत से मौसम बदल जाएगा वक़्त आया तो उसको पकड़ लीजिए
वरना मुट्ठी से अपनी फिसल जायेगा
मुद्दतों बाद आया है दिन प्यार का
देर की तो मुहूरत ये टल जायेगा
चलते चलते चलो रात बीतेगी ये
अपना सूरज वो प्यारा निकल जाएगा
नन्हा बच्चा खिलौने से कुछ कम नहीं
खेलते ही रहो दिल बहल जायेगा
15 टिप्पणियाँ:
वक़्त आया तो उसको पकड़ लीजिए
वरना मुट्ठी से अपनी फिसल जायेगा
सच्ची बात.
नन्हा बच्चा खिलौने से कुछ कम नहीं
खेलते ही रहो दिल बहल जायेगा....
बहुत सार्थक सन्देश देती सुन्दर गज़ल..आभार
वक़्त जैसा भी है यह संभल जाएगा
अपनी हिम्मत से मौसम बदल जाएगा
बहुत ही सुंदर गज़ल है ।
नन्हा बच्चा खिलौने से कुछ कम नहीं
खेलते ही रहो दिल बहल जायेगा |
बहुत सुंदर , सार्थक रचना , बधाई
नन्हा बच्चा खिलौने से कुछ कम नहीं
खेलते ही रहो दिल बहल जायेगा
आहा ...बहुत सुकून देने वाला शेर है ये| सुन्दर गज़ल के लिए बधाई|
हिम्मत और धीरज से समय बदल जाता है.
वक़्त आया तो उसको पकड़ लीजिए
वरना मुट्ठी से अपनी फिसल जायेगा
वाह वाह जी, बहुत सुंदर गजल, धन्यवाद
काफी समय बाद टिप्पणी दे रहाँ हूं ,समय मिलता ही नही आगामी 10 जून से कालेज की छूट्टियां हो जाएंगी तब नियमित टिप्पणी दूंगा ।
आपकी ये रचना दिल के पास लगी ।
BHOJPURIKHOJ.COM
बहुत बढ़िया गज़ल:
मुद्दतों बाद आया है दिन प्यार का
देर की तो मुहूरत ये टल जायेगा
नन्हा बच्चा खिलौने से कुछ कम नहीं
खेलते ही रहो दिल बहल जायेगा
बहुत ही सुंदर.....
वक़्त आया तो उसको पकड़ लीजिए
वरना मुट्ठी से अपनी फिसल जायेगा
मुद्दतों बाद आया है दिन प्यार का
देर की तो मुहूरत ये टल जायेगा
वाह …………हमेशा की तरह शानदार गज़ल्…………सुन्दर शेर्।
व्वाह.... आनंद आ गया भईया, शानदार गाजल पढ़ के....
सादर...
गिरीश जी आपकी ग़ज़लों की सबसे बड़ी खासियत ये है के उन्हें पढ़ कर मन में से नकारात्मक सोच का पलायन हो जाता है...ज़िन्दगी जीने की ऊर्जा मिल जाती है...नया जोश आ जाता है...आप बहुत बेहतरीन लिखते हैं...मेरी दिली दाद कबूल करें...
नीरज
वक़्त आया तो उसको पकड़ लीजिए
वरना मुट्ठी से अपनी फिसल जायेगा
और फिर बीता हुआ समय दुबारा लौट कर नहीं आता। अच्छा संदेश...।
वो जो आये और आ कर फिर अपना बना गए बेहतरीन ग़ज़ल देकर , यूं ही लिखते रहिये, हमें इंतज़ार रहता है
बहुत सुंदर ग़ज़ल... बधाई
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