ग़ज़ल / हर शख्स कहे क्या बात कही कुछ ऐसी अपनी बात रहे
>> Wednesday, July 13, 2011
शुभ रात रहे, शुभ प्रात रहे
घायल न कोई जज़्बात रहे
घायल न कोई जज़्बात रहे
सब रहें प्यार से जीवन में
क्यों घात रहे, प्रतिघात रहे
हर शख्स कहे क्या बात कही
कुछ ऐसी अपनी बात रहे
हम तोड़ें अपनी चुप्पी को
भावों की मधुर बरसात रहे
मंजिल से पहले रुकें नहीं
अपनी ऐसी शुरुआत रहे
यह जीवन अपना हो सुन्दर
इस दुनिया को सौगात रहे
सब एक रहें सब मानुष हैं
क्यों धर्म, जात औ पात रहे
जो अपने हैं उन सब का ही
बस जीवन भर का साथ रहे
जो बिछुड़े हैं मिल जाएँ वे
क्यों नैनन में बरसात रहे
हों भले काम, उनके पीछे-
अपना भी थोड़ा हाथ रहे
हर चहरे पर मुस्कान रहे
यूं खुशियों की बारात रहे
बस हमें आपका प्यार मिले
पंकज की इतनी बात रहे
22 टिप्पणियाँ:
सब रहें प्यार से जीवन में
क्यों घात रहे, प्रतिघात रहे
...बहुत सारगर्भित सोच..हरेक शेर बहुत उम्दा..बहुत सुन्दर और प्रेरक गज़ल..
हर चहरे पर मुस्कान रहे
यूं खुशियों की बारात रहे
बहुत सुन्दर और प्रेरक
अति सुन्दर, शिक्षाप्रद गजल भईया....
सादर....
हम तोड़ें अपनी चुप्पी को
भावों की मधुर बरसात रहे
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
sundar
बहुत सही बात कही है आपने इस गजल के द्वारा। काश ऐसा हो पाता।
सुंदर संदेश देती हुई प्यारी सी गज़ल.
बहुत ही अच्छी कामना,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
मंजिल से पहले रुकें नहीं
अपनी ऐसी शुरुआत रहे
hriday sparshi ..sunder ghazal...badhai.
हर चहरे पर मुस्कान रहे
यूं खुशियों की बारात रहे
क्या बात पंकज जी !खुबसूरत शब्दों में प्रभावशाली रचना प्रवाह ..... बहुत सुन्दर शुक्रिया जी /
Pankaj ji charcha manch ke madhyam se aaj aapke blog ka pata laga.aapki ghazal ko padhkar laga ki aana saarthak raha.bahut prerak behad khoobsurat ghazal padhne ko mili.anusaran kar rahi hoon.ese writer ki har prastuti padhna chahungi.saath hi apne blog par aapko aamantrit karti hoon.
हर चहरे पर मुस्कान रहे
यूं खुशियों की बारात रहे
बहुत सुन्दर ग़ज़ल...बधाई
शुभ रात रहे, शुभ प्रात रहे
घायल न कोई जज़्बात रहे
सब रहें प्यार से जीवन में
क्यों घात रहे, प्रतिघात रहे
हर शख्स कहे क्या बात कही
कुछ ऐसी अपनी बात रहे...बहुत सुन्दर ग़ज़ल...
लाजवाब गज़ल है .. कमाल के शेर हैं सभी ...
शुभ और कल्याणकारी भाव की सुन्दर ग़ज़ल..
ईश्वर करे,ऐसा ही हो
सब एक रहें सब मानुष हैं
क्यों धर्म, जात औ पात रहे
जो अपने हैं उन सब का ही
बस जीवन भर का साथ रहे
आस्था और विश्वास से ओतप्रोत सुन्दर ग़ज़ल !
वाह...वाह...वाह...
आनंद आ गया...
लाजवाब रचना...
अत्यंत शुभकामनामय ग़ज़ल...एवमस्तु !!!
हों भले काम, उनके पीछे
अपना भी थोड़ा हाथ रहे
हर चहरे पर मुस्कान रहे
यूं खुशियों की बारात रहे
प्रेरक पंक्तियां
सीख देती हुईं
संदेश देती हुईं
बहुत अच्छा लिखा है .हाँ! पोस्ट प्रेरणा देती है. धन्यवाद.
बहुत खूबसूरत भावों को समेटे हुए अच्छी रचना
यह जीवन अपना हो सुन्दर
इस दुनिया को सौगात रहे
सुंदर!
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