''सद्भावना दर्पण'

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नई ग़ज़ल / मन का दीप जले तो हर इक अंधकार मिट जाता है ...

>> Sunday, October 23, 2011

दीपत्सव की शुरुआत हो चुकी है. आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं. प्रस्तुत है कुछ पंक्तियाँ, देखे, शायद सुधी पाठकों को पसंद आ जाएँ

अंधकार आता है आए, उससे कब घबराता है
इक नन्हा-सा दीप सामने आ कर सबक सिखाता है

अंधकार की फितरत है अपने पंजे फैलाएगा
लेकिन अदना-सा दीपक उससे जाकर भिड जाता है

'बहुत अँधेरा, बहुत अँधेरा' यह रोना कब तक रोएँ?
यह ज़ालिम तो इक दीपक से अक्सर मुँह की खाता है

अंधकार होता है कायर फिर भी इतराना देखो
दीपक जलते ही घमंड सब मिट्टी में मिल जाता है

किसम-किसम के यहाँ अँधेरे मिल जायेंगे बस्ती में
मन का दीप जले तो हर इक अंधकार मिट जाता है

अरे अँधेरे मत इतरा तू मौत तेरी अब निश्चित है
हर इक तानाशाह मरा है यह इतिहास बताता है 

धनवाले अपने ही घर को रौशन करते रहते है
दिलवाला इंसान अँधेरे दर पर दीप जलाता है

आखिर सच्ची दीवाली का पंकज ने देखा सपना
हर दरवाजा हँसता है और हर आँगन मुस्काता है

9 टिप्पणियाँ:

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') October 24, 2011 at 12:12 AM  

आखिर सच्ची दीवाली का पंकज ने देखा सपना
हर दरवाजा हँसता है और हर आँगन मुस्काता है

वाह! भईया... बहुत सुन्दर ग़ज़ल...
आपको दीप पर्व की सपरिवार सादर शुभकामनाएं

महेन्‍द्र वर्मा October 24, 2011 at 12:33 AM  

किसम-किसम के यहाँ अँधेरे मिल जायेंगे बस्ती में
मन का दीप जले तो हर इक अंधकार मिट जाता है

अंधेरे की हार और प्रकाश की जीत !
बहुत सुंदर रचना।

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

कविता रावत October 24, 2011 at 6:59 AM  

आखिर सच्ची दीवाली का पंकज ने देखा सपना
हर दरवाजा हँसता है और हर आँगन मुस्काता है
धनवाले अपने ही घर को रौशन करते रहते है
दिलवाला इंसान अँधेरे दर पर दीप जलाता है
..सच कहा आपने वे दिलवाले ही होते हैं जो सबको ख्याल रख लेते हैं..
सुंदर सन्देश देती रचना..
आपको सपरिवार दीप पर्व की हार्दिक शुभकामना

Neelkamal Vaishnaw October 24, 2011 at 7:14 AM  

सुन्दर...

आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक दिल से शुभकामनाएं
MADHUR VAANI
MITRA-MADHUR
BINDAAS_BAATEN

shikha varshney October 24, 2011 at 9:52 AM  

बहुत सुन्दर
आप और आपके परिवार को दिवाली की ढेरों शुभकामनायें.

Amit Sharma October 24, 2011 at 10:39 PM  

पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
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"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

Kailash Sharma October 25, 2011 at 7:39 AM  

बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

राज भाटिय़ा October 25, 2011 at 10:35 AM  

आपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक मंगलकामनायें!

सूर्यकान्त गुप्ता October 27, 2011 at 3:40 AM  

आदरणीय को सादर वंदन! दीपोत्सव के चौथे दिन " अन्न कूट गोवर्धन पूजा" की बहुत बहुत बधाई।
रचना आपकी कलम की ताकत हमको बतला जाता है

सुनिए गिरीश पंकज को

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