Friday, March 9, 2012

गीत / संघर्षों में जो निखरी,वो औरत है.........

संघर्षों में जो निखरी,वो औरत है
खुशबू बनके जो बिखरी, वो औरत है..

कब तक कोई रोक सका है बहता जल

वह तो आगे बढ़ता है केवल कल-कल
औरत भी निर्मल जल, गंगाधारा है.
जिस के बल पर टिका जगत ये सारा है.
आगे बढ़ के ना ठहरी, वो औरत है ..
संघर्षों में जो निखरी,वो औरत है..

कल था उसका, आज और कल भी सुन्दर

साथ उसी के होगी ये दुनिया बेहतर.
यह करुणा का पाठ पढ़ाती रहती है,
जीवन में इक राह दिखाती रहती है.
भीतर-भीतर जो गहरी, वो औरत है..
.संघर्षों में जो निखरी,वो औरत है.......

साथ इसे ले कर के मंजिल को पाना है.

नीलगगन तक इसके संग में जाना  है
शिव-पार्वती-सा जीवन हो जाएगा.
तब जीवन का रस्ता ये कट पाएगा.
सबकी खातिर इक प्रहरी, वो औरत है..

संघर्षों में जो निखरी,वो औरत है

खुशबू बनके जो बिखरी, वो औरत है..

9 comments:

  1. बहुत अच्छा सकारात्मक गीत है आपका.

    पर संघर्ष हद से गुजर न जाये देखना
    औरत टूट कर बिखर न जाये देखना.

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छी रचना है भैया । ‘‘ संघर्षों में जो निखरी वो औरत है। खुशबू बनकर जो बिखरी वो औरत है।’’ क्या कहने हैं , सुंदर।

    ReplyDelete
  3. कब तक कोई रोक सका है बहता जल
    वह तो आगे बढ़ता है केवल कल-कल
    औरत भी निर्मल जल, गंगाधारा है.
    जिस के बल पर टिका जगत ये सारा है.....

    बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन भावमय प्रस्तुति,...
    गिरीश जी,..आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी...आभार,

    RESENT POST...फुहार...फागुन...

    ReplyDelete
  4. क्या सुन्दर गीत है भईया.... वाह!
    सादर प्रणाम.

    ReplyDelete
  5. खूबसूरत भाव लिए हुये आशा का संचार सा कर रही है रचना ॥

    ReplyDelete
  6. यह भाव ही स्त्री को संघर्ष कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं ...
    प्रेरक प्रस्तुति !

    ReplyDelete
  7. .

    गिरीश भैया,
    हमेशा की तरह बहुत सुंदर और सार्थक लिखा है आपने …
    आभार और
    महिला दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

    साथ ही
    स्वीकार करें मंगलकामनाएं आगामी होली तक के लिए …
    **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    ****************************************************
    ♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
    ♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥


    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    ****************************************************
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥.

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर गिरीश जी.. स्त्री के लिए सम्मान आपकी इस कविता में झलकता है, उसके लिए प्रणाम

    ReplyDelete