कभी भी बंदरों के हाथ में पत्थर नहीं देते
बहुत जो मूर्ख होते हैं उन्हें उत्तर नहीं देते
बहुत जो मूर्ख होते हैं उन्हें उत्तर नहीं देते
हमेशा मौन रहना ही यहाँ अच्छी दवाई है
जो ज्ञानी हैं यहाँ उत्तर कभी कह कर नहीं देते
यहाँ जैसा जो करता है सदा भरता है वैसा ही
ये ऐसी बात है जिसको कभी लिख कर नहीं देते
यही इतिहास कहता है ज़रा तुम होश में रहना
बहुत अय्याश लोगों को कभी लश्कर नहीं देते
बड़े मासूम लगते हैं अगर बच पाओ बच लेना
ये हत्यारे कभी बचने का भी अवसर नहीं देते
यहाँ तो अब अदब में घुस गए हैं लोग सामंती
करो इनको नमस्ते ठीक से उत्तर नहीं देते
कोई तो खोट होगी परवरिश में क्या पता पंकज
जिन्हें पाला वही परिणाम यूं बदतर नहीं देते
यहाँ तो अब अदब में घुस गए हैं लोग सामंती
ReplyDeleteकरो इनको नमस्ते ठीक से उत्तर नहीं देते.
सत्य वचन .
बहुत उम्दा गजल काही है भईया..।
ReplyDeleteसादर बधाई प्रणाम।
वाह !!!!! बहुत सुंदर गजल ,क्या बात है,बेहतरीन....
ReplyDeleteMY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
बहुत खूब ...सारे शेर अपने आप में मुक्कमल ...
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29-०३ -2012 को यहाँ भी है
.... नयी पुरानी हलचल में ........सब नया नया है
bahut behtreen ghazal ek se badhkar ek ashaar.
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteवाह वाह क्या कहने बहुत सुंदर
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