बहुत संभल कर 'आना' बिटिया
बिगड़ा इधर ज़माना बिटिया
बिगड़ा इधर ज़माना बिटिया
बहलाने वाले है ढेरों
अपनी राह पे जाना बिटिया
पग-पग पर हैं यहाँ छलावे
मन को मत भरमाना बिटिया
नयी हवा में बह मत जाना
अपनी राह बनाना बिटिया
तुम भी हो कल की निर्माता
सबको यह समझाना बिटिया
दादी-नानी की 'पोटलियाँ'
उसको नहीं गुमाना बिटिया
(ब्लॉगर शिखा वार्ष्णेय द्वारा अपनी बेटी के जन्मदिन पर लिखी गयी कविता को पढ़ने के बाद)
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना....आभार
ReplyDeleteसुंदर अतिसुन्दर अच्छी लगी, बधाई
ReplyDeleteसुन्दर सृजन , बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग" meri kavitayen" पर भी पधारें, आभारी होऊंगा .
बेहतरीन भाव पुर्ण बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,लाजबाब सीख देती प्रस्तुति,....
ReplyDeleteRECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
bitiyon ke liye behtarin sadesh..unke sadhe kadam hee jamane ke kadam ko saadhne wale hain..sadar badhayee aaur amantran ke sath..aap manendragarh me rahte hain main pendra me rahta hoon..aapse to mulakat bhee sambav hai
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन रचना है बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteबहुत सुंदर संदेश मयी सार्थक रचना आभार समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
नयी हवा में बह मत जाना
ReplyDeleteअपनी राह बनाना बिटिया
बिटिया को सार्थक संदेश देती सुंदर रचना
ह्रदयस्पर्शी रचना, गिरीश जी!
ReplyDeleteसुंदर सार्थक सृजन.
ReplyDeleteनयी हवा में बह मत जाना
ReplyDeleteअपनी राह बनाना बिटिया
बहुत ही अनुपम भाव संयोजन लिए हुए
उत्कृष्ट प्रस्तुति।