माना के धनवान बहुत है
इसका उसे गुमान बहुत है
नम्र बनो ऐ प्यारे भाई
नम्र बनो ऐ प्यारे भाई
जान गए के ज्ञान बहुत है
किसको जा कर शीश झुकाएँ
किसको जा कर शीश झुकाएँ
भीतर का भगवान् बहुत है
झगड़े बढ़ जाते है क्योंकि
झगड़े बढ़ जाते है क्योंकि
अनचाहा अज्ञान बहुत है
मेहनत के धन से ही करना
मेहनत के धन से ही करना
थोड़ा-सा भी दान बहुत है
मुझे देख वो ना मुसकाया
मुझे देख वो ना मुसकाया
इतना ही अपमान बहुत है
स्वाभिमान भी कोई चीज़ है
स्वाभिमान भी कोई चीज़ है
भूखे हैं पर शान बहुत है
गाना दिल का दर्द भागा दे
गाना दिल का दर्द भागा दे
कैसी भी हो तान बहुत है
लाख सताओ, नहीं मरूंगा
लाख सताओ, नहीं मरूंगा
इस पंकज में जान बहुत है
बहुत सुन्दर लिखा है आपने सर!
ReplyDeleteइसे भी देखें-
उल्फ़त का असर देखेंगे!
लाख सताओ, नहीं मरूंगा
ReplyDeleteइस पंकज में जान बहुत है
जानदार अनुपम भाव लिए सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट .
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
लाख सताओ, नहीं मरूंगा
ReplyDeleteइस पंकज में जान बaहुत है...bahut hee sunder panktiyan..sadar badhayee aaur
amantran ke sath
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र -
ReplyDeleteबस एक छोटी सी गुज़ारिश - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDelete♥
किसको जा'कर शीश झुकाएं
भीतर का भगवान बहुत है
वाह वाह !
सौ शे'रों पर भारी शे'र
आदरणीय गिरीश भाईजी
प्रणाम !
जवाब नहीं आपका …
इन दिनों आ रही आपकी तमाम रचनाएं कमाल की हैं …
फ़िदा हो गया इस ग़ज़ल के एक एक शे'र पर …
मुझे देख वो ना मुसकाया
इतना ही अपमान बहुत है
स्वाभिमान भी कोई चीज़ है
भूखे हैं पर शान बहुत है
क्या ता'रीफ़ करूं , कैसे करूं … शब्द ही नहीं मिल रहे आज तो … … …
गाना दिल का दर्द भगा दे
कैसी भी हो तान बहुत है
कई बार अनुभव किया है यह तो…
सलाम ! सलाम ! सलाम !
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
भावो को रचना में सजाया है आपने.....
ReplyDeleteवाह गिरीश जी! आपकी यह ग़ज़ल तो बहुत ही बढ़िया लगी...
ReplyDeleteAadarniy Pankaj jii,
ReplyDeleteAaapkii pratyek rachnaa ek se badh kar ek hotii hai aur main aapki prtyek rachnaa ko pasand kartaa hun. Meraa betaa bhii. Maine iskaa zikra pichale dino jab aap aadarniy J.R.Soni jii ke saath mere ghar padhaare the, kiyaa bhii thaa aur aapne usii kii pharmaaish par Subah mohabbat shaam mohabbat sunaaii bhii thii.
Harihar Vaishnav
नम्र बनो ऐ प्यारे भाई
ReplyDeleteजान गए के ज्ञान बहुत है
बहुत सुन्दर...